
- समितियां नहीं कर पा रही पर्यावरण और मिनरल की निगरानी
- खनन जांच के मामले में खनिज विभाग पर दिख रही निर्भरता
सिरोही. पर्यावरण एवं खनन पर निगरानी के लिए समितियां गठित है, लेकिन लगता है ये सब कहने को ही है। फिर चाहे खनिज क्षेत्र में कार्यरत डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) हो या पर्यावरण समिति। समय-समय पर इनकी बैठकें भी होती रही है तथा इन समितियों में जिला कलक्टर व वन अधिकारी समेत जिलास्तरीय अन्य कई अधिकारी सदस्य के तौर पर सम्मिलित भी है, लेकिन अवैध रूप से चल रहे खनन पर इनकी नजर नहीं जा रही। खनन के मामलों में जांच के लिए शायद ये सब खनिज विभाग पर ही निर्भर है। अन्यथा बड़ी मात्रा में हुए अवैध खनन पर पहले ही रोक लग जाती। उधर, खनिज अभियंता चंदनकुमार बताते हैं कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी जरूर की जाती है।
इसलिए आराम से खोद ले गए मार्बल
डीएमएफटी के नाम पर एकत्र हो रही राशि को अन्य कार्यों में खर्च करने के लिए बैठकों में जरूर चर्चा होती है। इस फंड से जिले में कई सडक़ें व भवन बना दिए गए, लेकिन पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान नहीं जा रहा। यहां तक कि खदानों में अवैध खनन रूकवाने पर भी रूचि नहीं ली जा रही। यही कारण रहा कि माफिया हजारों मीट्रिक टन मार्बल आराम से खोद ले गए।
कोई एक-दो दिन में तो हुआ नहीं
सेलवाड़ा की खदानों में भारी मात्रा में अवैध खनन की पुष्टि हुई है। यह एक-दो दिन का काम नहीं लगता। जिस तरह से यहां हजारों मीट्रिक टन अवैध खनन हुआ है, उससे लगता है यह कई दिनों का कार्य है। लेकिन, जिम्मेदारों को यह नजर ही नहीं आया। अवैध खनन के ये मामले इनकी नजर में क्यों नहीं आए यह कहना मुश्किल है।
हजारों मीट्रिक टन अवैध खनन की पुष्टि
उल्लेखनीय है कि सेलवाड़ा की मार्बल खदानों में अवैध खनन की शिकायत के बाद ही कार्रवाई हो पाई है। सेलवाड़ा में खनन पट्टाधारक ओम माइंस एंड मिनरल्स, योगेश गुप्ता व सीमा अग्रवाल के खिलाफ नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। शिकायत के बाद जोधपुर अधीक्षण अभियंता ने जांच के निर्देश दिए। टीम ने ड्रोन सर्वे कर जांच रिपोर्ट बनाई। महज तीन पट्टाधारकों की जांच में ही हजारों मीट्रिक टन अवैध खनन की पुष्टि की गई। साथ ही दो पट्टाधारकों पर 75 करोड़ रुपए का जुर्माना आरोपित किया गया।



