
- राज्यमंत्री के आगमन व प्रस्थान के समय दोनों बार विरोध
- विरोधी डटे रहे पर हटाने की कोई चेष्टा तक नहीं की गई
सिरोही. स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान के आगाज पर सरकारी अस्पताल में कार्यक्रम स्थल पर राज्यमंत्री ओटाराम देवासी को कांग्रेस कार्यकर्ताओं का दो बार विरोध झेलना पड़ा। पहला शिविर स्थल पर आगमन के दौरान व दूसरा प्रस्थान के समय। विरोध प्रदर्शन करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता यहां पूरे समय डटे रहे। राज्यमंत्री का घेराव करते हुए ज्ञापन दिया तथा जिला अस्पताल की समस्याओं का समाधान किए जाने की मांग रखी। हालांकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह के प्रदर्शन कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन शिविर स्थल पर पूरे समय तक डटे रहने एवं दोनों समय राज्यमंत्री का घेराव किए जाने की बात सोचने को मजबूर करती है। एक सवाल यह भी कि आखिर यह क्या था। राज्यमंत्री व सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास या प्रशासनिक तंत्र की विफलता।
सुरक्षा के प्रति गंभीरता नहीं है या अनदेखा कर रहे
प्रवेश के दौरान एक-दो कार्यकर्ता राज्यमंत्री के बेहद करीब आ गए थे, जिनको राज्यमंत्री ने खुद हाथ के इशारे से दूर किया। इसे सुरक्षा में सेंध ही कहा जाएगा कि इन सबके बावजूद न तो राज्यमंत्री का सुरक्षाकर्मी वहां दिखा और न स्थानीय पुलिस अधिकारी। पूरा प्रशासनिक अमला यहां मौजूद रहने के बाद भी दोनों बार का घेराव किसी भी अधिकारी की नजर में आखिर क्यों नहीं आया। राज्यमंत्री की सुरक्षा में गंभीरता नहीं दिखाई या इसे जानबुझकर अनदेखा किया गया।
बचाव न करते तो राज्यमंत्री को धक्का लग जाता
राज्यमंत्री के आगमन पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घेराव किया तो उनके साथ चल रहे भाजपा के राजसमंद प्रभारी वीरेंद्रसिंह चौहान ने जरूर बचाव किया। वे प्रदर्शनकारियों को एक तरफ धकियाते दिखे। उनका कहना रहा कि इस तरह से धक्का-मुक्की और हल्ला नहीं किया जाता। ज्ञापन दे चुके हैं तो अब रास्ता छोडि़ए। राज्यमंत्री ने कहा कि तेज आवाज में बात करने व हल्ला करने से क्या होगा। मैं भी आपसे बात करना चाहता हूं, कार्यक्रम निपट जाए इसके बाद। इस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम बाहर ही खड़े हैं सर। इसके बाद राज्यमंत्री शिविर स्थल में प्रवेश कर गए।

मुस्कुराहट भरे सुझाव को अनसुना किया
प्रस्थान के समय तो स्थिति और गंभीर दिखी। शिविर स्थल के द्वार से बाहर निकलते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वापस घेराव किया। इस दौरान जिला कलक्टर अल्पा चौधरी खुद साथ रहीं और वे मुस्कुराते हुए राज्यमंत्री को सुझाव देतीं नजर आईं कि एक बार मोर्चरी की ओर देख लें। लेकिन, राज्यमंत्री ने अनसुना कर दिया।
… तो क्या अमला अलर्ट नहीं था
सबसे बड़ा सवाल तो यही कि कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदर्शन करने आए और पूरे समय यहां डटे रहे। क्या पुलिस व प्रशासनिक तंत्र को इनके आगमन या प्रदर्शन की कोई जानकारी नहीं थी। आगमन पर राज्यमंत्री का घेराव किया गया और कार्यक्रम सुचारू रहने तक वे यहीं डटे रहे। प्रस्थान के समय वापस घेराव किया। इस बार जिला कलक्टर भी साथ रहीं तो क्या पुलिस व प्रशासनिक अमला अलर्ट नहीं था। राज्यमंत्री के आगमन पर ही वे ज्ञापन दे चुके थे तो काफी देर तक उनके वहीं डटे रहने का मकसद क्या था इस पर तंत्र की नजर क्यों नहीं रही।
समस्याएं तो जस की तस रह गई
मामला चाहे जो हो, लेकिन आगमन व प्रस्थान के दोनों समय में घेराव होने से राज्यमंत्री का मूड उखड़ा सा रहा। ऐसे में वे कार्यक्रम निपटते ही रवाना हो गए। संभवतया जिला अस्पताल आए थे तो ज्वलंत समस्याओं का नजारा भी करते और सुधार के लिए अधिकारियों को निर्देशित भी करते, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ऐसे में राज्यमंत्री का घेराव और प्रदर्शन खबरों की सुर्खियां तो बना पर समस्याएं जस की तस रह गई।