आखिर गोवंश की मौत का जिम्मेदार कौन?

- डामर भरे गड्ढे पाट दिए पर जिम्मेदारी तय नहीं हुई
- शायद इसलिए कि इस गोवंश का कोई धणी-धोरी नहीं था
सिरोही. फोरलेन किनारे गड्ढों में भरा डामर आखिर मिट्टी से पाट दिया गया। समाचार प्रसारित होने के बाद समाधान तो खोज लिया गया, लेकिन गोवंश की मौत के जिम्मेदारों पर कार्रवाई कौन करेगा यह सवाल अब भी अनुत्तरित ही है।
डामर में फंस कर काल-कवलित हुए गोवंश की मौत का कारण आखिर किसे माना जाए यह सवाल भी मुंह बाय बना हुआ है। सड़क किनारे गड्ढों में डामर डाल गए वाहन चालक को माना जाए या फोरलेन की देखभाल करने वाली कंपनी को, या फिर पशुओं के संरक्षण की दिशा में काम करने वाले पदाधिकारियों को। वैसे ये पदाधिकारी बताते हैं कि डामर में गोवंश फंसने की घटना को लेकर वे प्रशासन को भी बता चुके थे। इसके बावजूद फोरलेन की मॉनिटरिंग करने वाली कंपनी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। तो क्या यह मान सकते है कि यह बेपरवाही प्रशासनिक स्तर पर भी हुई।

चाहे जो हो, लेकिन फोरलेन किनारे गड्ढों में भरे डामर में फंसकर गोवंश की मौत हुई यह जगजाहिर है। लब्बोलुआब यही है कि डामर की चपेट में आने से जिन गोवंश की मौत हुई है वे घुमंतू थीं और जब मालिक ही नहीं था तो उनकी मौत के बाद न तो कोई धणी आगे आया और न किसी ने जिम्मेदारी तय की। वे घुमंतू ही जीवनयापन कर रही थीं और यूं ही काल-कवलित हो गईं।

प्रशासन को अवगत कराया था
उधर, पीएफए सचिव अमित देवल बताते हैं कि फोरलेन किनारे गड्ढों में डामर भरा होने से चार-पांच गोवंश की मौत हो चुकी है। इस घटना के बाद प्रशासन को अवगत कराया था। अब इस गड्ढे को मिट्टी से पाट दिया है।
एक-दूसरे पर उड़ेल रहे जिम्मेदारी
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर फोरलेन की देखभाल करने वाली एजेंसी से भी बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन वे लोग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी उड़ेलते रहे। उथमण टोल प्लाजा के कार्मिकों ने बताया कि मैनेजर का कार्य केवल टोल प्रबंधन करना ही है। नियंत्रण कक्ष से बताया गया कि यह सारा कार्य कंपनी की ओर से सिरोही जिले में कार्यरत अधिकारियों का है।#sirohi.After all, who is responsible for the death of the cow? – The asphalt filled pits were filled but the responsibility was not fixed