आबकारी में न कोर्ट के आदेश माने जा रहे और न अधिनियम की पालना हो रही

प्रशासन के अन्य अधिकारियों को भी नजर नहीं आ रही अवहेलना, जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण इलाकों तक कुछ ऐसे ही हाल
सिरोही. न्यायालय की ओर से हाईवे पर शराब की दुकानों के साइन बोर्ड नहीं लगाने के आदेश है, लेकिन आबकारी विभाग इन आदेशों की पालना करवाने में नाकाम साबित हो रहा है। माना जा रहा है कि अधिकारियों की शह पर हाईवे किनारे बोर्ड लग रहे हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो खुले तौर पर लगे बोर्ड कब के हट चुके होते। या कह सकते हैं कि लग ही नहीं पाते। ठेकेदारों को दी जा रही इस शह के कारण राजमार्ग व राज्यमार्ग समेत ग्रामीण सड़कों पर लगे बोर्ड हटवाने में आबकारी विभाग के अधिकारी रुचि नहीं ले रहे। यहां तक कि जिला मुख्यालय पर ही हाईवे किनारे बोर्ड लगे हुए हैं, लेकिन आबकारी तो दूर प्रशासन के अन्य अधिकारियों को भी ये नजर नहीं आ रहे। शहर से दूर तो छोडि़ए सिरोही से सटे गोयली, जावाल, खाम्बल, डोडुआ, रामपुरा, सिंदरथ समेत नजदीकी गांवों में भी यही हाल है।
पूरी अवहेलना फिर भी चुप्पी
सड़क किनारे लगे बोर्ड शौकीनों को शराब पीने का न्यौता दे रहे हैं। साथ ही लोगों को शराब के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। यह पूरी तरह से न्यायालय के आदेशों एवं आबकारी अधिनियम की भी अवहेलना है, लेकिन जिम्मेदार इस ओर से चुप्पी साधे बैठे हैं।
दे रहे खुली छूट या कर रहे नजरंदाज
आबकारी विभाग के जिला अधिकारी एवं निरीक्षक, प्रहराधिकारी समेत अन्य अधिकारी भी यदि नियमित रूप से दुकानों का जायजा लेते होंगे तो ये बोर्ड नजर आते होंगे। लेकिन, इन साइन बोर्ड को हटवाने पर ध्यान नहीं जा रहा। हां, ठेकेदारों को खुली छूट देने के लिए दुकानों के निरीक्षण में ही कोताही बरती जा रही हो तो यह दीगर बात है।
इनको नजर ही नहीं आते बोर्ड
सिरोही शहर में हाईवे किनारे शराब के ठेके खुले हुए हैं। इनको दर्शाने के लिए सड़क से सटकर ही बोर्ड लगे हैं। पिण्डवाड़ा, आबूरोड, रेवदर, शिवगंज समेत ग्रामीण सड़कों पर भी यही स्थिति है। प्रतिदिन हाईवे एवं सड़क से गुजर रहे अधिकारियों को शराब की दुकानों के बड़े-बड़े बोर्ड क्यों दिखाई नहीं दे रहे यह समझ से परे है।
न कोर्ट के आदेश मान रहे और न प्रावधान
उच्चत्तम न्यायालय ने बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए इस तरह का आदेश दिया था। इसमें स्पष्ट कहा गया था कि शराब दुकानें हाईवे से एक निर्धारित दूरी पर संचालित की जाए। साथ ही दुकान संचालक हाईवे पर शराब की दुकान का बोर्ड लगाकर प्रचार नहीं कर सकते। उधर, आबकारी अधिनियम के तहत भी शराब की दुकानों को लेकर प्रचार नहीं किए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद न तो न्यायालय के आदेशों की पालना हो रही है और न आबकारी अधिनियम के प्रावधान माने जा रहे हैं।#In excise, neither the orders of the court are being considered nor the act is being followed.