
- इसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे हैं सांसद व प्रमुख के पैतृक गांव
- फिर भी पता नहीं कि कहां जाया हो गए मरम्मत के पांच करोड़
सिरोही. करीब 70 किमी का सिरोही-रेवदर-मंडार मार्ग, जिस पर जिले की बड़ी हस्तियों के पैतृक गांव हैं, लेकिन इस मार्ग की स्थिति सुधरते नहीं दिख रही। फिर चाहे जिले की सबसे बड़ी पंचायत के मुखिया जिला प्रमुख हो या केंद्र में जिले का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद। जी हां, सांसद का पैतृक गांव वाड़ेली और जिला प्रमुख का गांव जीरावल इसी रेवदर-मंडार मार्ग से जुड़े हुए हैं। इनका आवागमन इसी टूटे-फूटे मार्ग से होता है, लेकिन सालभर मरम्मत के लिए स्वीकृत हुआ पांच करोड़ रुपए का बजट कहां जाया हो गया, किसी को पता नहीं।
सालभर बाद भी कुछ नहीं हो पाया
एनएच की मरम्मत और फोरलेन के लिए डीपीआर तैयार करने की खातिर बजट स्वीकृति हुई थी। इस बजट में से करीब पांच करोड़ रुपए की राशि केवल मरम्मत के लिए ही थी, लेकिन सालभर बाद भी इस सडक़ पर ज्यादा कुछ नहीं हो पाया। यहां तक कि एनएच के अधिकारी इस सम्बंध में बात करने से भी कतरा रहे हैं।
कुछ पैबंद लगाकर इतिश्री कर ली
इस राज्यमार्ग को टोल कंपनी से हटाकर जब राष्ट्राय राजमार्ग के अधीन किया गया तो मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत हुई। इसलिए कि जब तक फोरलेन नहीं बन पाता तब तक वाहन चालकों को आवागमन में समस्या न हो। इसके तहत इस पूरी सडक़ पर जहां समस्या थी उसे मरम्मत करते हुए दुरुस्त करना था, लेकिन महज कुछ जगहों पर पैबंद लगाकर इतिश्री कर ली गई।
उपलब्धियों का ढिंढोरा ही पीटा गया
हाल ही में राज्य सरकार की बीस माह की उपलब्धियां बताने का ढिंढोरा पीटा गया, लेकिन जिले की यह मुख्य सडक़ अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। इस रोड से टोल हटाए जाने का श्रेय लेने के लिए भी स्थानीय स्तर पर जनप्रतिनिधि ढिंढोरा पीट चुके हैं। वैसे सालभर पहले एनएच के अधीन कर देने के बाद बजट स्वीकृति भी हुई पर मरम्मत कार्य क्यों नहीं हुआ इस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा।



