
- दुखदायी साबित हो रहा टूटे-फूटे मार्ग पर वाहनों का संचालन
- केंद्र व राज्य और जिला परिषद में भी भाजपा पर सुविधा शून्य
सिरोही. रेवदर-मंडार राज्यमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के अधीन कर देने के बाद जनता को टोल की समस्या से निजात मिल गई, लेकिन टूटे-फूटे मार्ग पर वाहनों का संचालन दुखदायी हो रहा है।
सरकार की उपलब्धियों का श्रेय लेने के लिए भाजपा प्रतिनिधि डबल इंजन की बात कहते नहीं थकते, लेकिन यहां डबल नहीं ट्रिपल इंजन लगे हुए हैं। केंद्र व राज्य से लेकर जिला परिषद में भी भाजपा ही सत्तासीन है। इसके बावजूद इस मार्ग की मरम्मत और पुनर्निर्माण के मामले में सुविधा शून्य ही है। हालात देखकर तो यही लगता है कि इस मार्ग पर आते ही सभी इंजन फेल हो जाते है।
हैंडओवर से पहले बनानी थी नई सडक़
उल्लेखनीय है कि टोल वसूलने वाली कंपनी को यह मार्ग वापस बनाकर विभाग को देना था। बीओटी के तहत निर्मित इस सडक़ पर टोल कंपनी ने मनमर्जी से वसूली की। समयावधि खत्म हो जाने के बाद भी कई महीनों तक नियमों की आड़ लेते हुए कंपनी अपना ठेका बढ़वाती रही। मार्ग हैंडओवर होने से पहले नियमों के तहत नई सडक़ बनानी चाहिए थी।
श्रेय लिया मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया
टोल कंपनी का ठेका बंद होते ही इस मार्ग को एनएच के अधीन कर दिया गया। एनएच की ओर से मरम्मत के लिए तत्काल ही पांच करोड़ का बजट स्वीकृत भी हुआ, लेकिन सालभर बाद भी न तो इसकी मरम्मत हुई और न सुविधा मिल पाई। टोल बंद हो जाने के मामले में जब जनप्रतिनिधियों ने जमकर श्रेय लिया था तब इसकी मरम्मत पर भी ध्यान देना चाहिए था।
कहने व करने में अंतर साफ नजर आता है
उधर, इस मामले में राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारी बात तक करने से कतरा रहे हैं। एनएच के पाली खंड अधिकारी राहुलसिंह तो इस मामले में जवाब देना तो दूर फोन तक रिसीव नहीं करते। वहीं, एईएन सलोनी पारीक ने केवल इतना बताया कि हम पेचवर्क कर चुके हैं, लेकिन सडक़ की स्थिति देखी जाए तो इनके कहने व करने में अंतर साफ नजर आता है।



