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कहने को करोड़ों का प्रोजेक्ट और क्रेन तक नहीं, हादसों में करोंटी व सिरोही पर निर्भर

  • सिरोही-रेवदर-मंडार टोल रोड पर दुर्घटना में किराये पर लानी पड़ रही
  • तीन-तीन जगहों पर वसूल रहे टोल राशि और सुविधाएं कोई खास नहीं
    सिरोही. कहने को करोड़ों का प्रोजेक्ट है और क्रेन तक उपलब्ध नहीं है। हादसों के दौरान ये हमेशा ही सिरोही व करोंटी पर निर्भर रहते हैं। समय पर सुविधा नहीं मिलने पर वाहन चालक अक्सर जान गंवा देते हैं। वहीं, जाम की स्थिति में लोगों का समय जाया होता है। जी हां, सिरोही-रेवदर-मंडार बीओटी मार्ग पर यही स्थिति है। तीन-तीन जगहों पर टोल वसूली के बावजूद वाहन चालकों को समुचित सुविधाएं नहीं मिल रही। टोल कंपनी के पास के्रन नहीं होने से सिरोही या करोंटी से मंगवाई जाती है। इस दौरान यातायात जाम की स्थिति में वाहनों की कतारें लगी रहती है और वाहन चालक व दूर-दराज के यात्री जाम में फंसे रहते हैं। बताया जा रहा है कि टोल कंपनी के पास हाइड्रा जैसी सुविधा है, जो तीनों बूथ के पास उपलब्ध रहती है, लेकिन क्रेन नहीं है। उधर, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता जगराम मीना बताते हैं कि बीओटी रोड का जायजा लिया जाएगा।

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मंगवाई जा रही निजी क्रेन
रेवदर-मंडार के आसपास के क्षेत्र में सड़क हादसा होने पर करोंटी से क्रेन मंगवाई जाती है और सिरोही के नजदीकी क्षेत्र में सिरोही से। दोनों ही जगहों से निजी संचालकों की क्रेन आती है। हालांकि इसका खर्च टोल कंपनी ही व्यय करती है, लेकिन दूर से क्रेन आने में जो समय खर्च होता है उसका खामियाजा पीडि़त वाहन चालक के साथ ही अन्यों को भी भुगतना पड़ता है।

बचाव कार्य में सुरक्षा प्रबंध तक नहीं
वाहन सड़क पर हादसे का शिकार हुआ हो या सड़क किनारे, राहत कार्य के दौरान क्रेन सड़क पर ही खड़ी रहती है। वाहन को आगे-पीछे करने के दौरान क्रेन सड़क पर घूमती रहती है, लेकिन इस दौरान सड़क पर चल रहे वाहनों की सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं रहते। टोल रोड के बीचोंबीच खड़ी रहती क्रेन के पास न तो बेरिकेड लगे रहते हैं और न कोई गार्ड। ऐसे में फर्राटे से आते वाहन टकरा कर और नया हादसा कारित करने का अंदेशा भी बना रहता है।

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जिम्मेदार तो शायद जायजा ही नहीं लेते
कई सालों से चल रहे इस प्रोजेक्ट को संभाल रही कंपनी ने वाहन चालकों की सुविधाओं पर शायद ही ध्यान दिया हो। यही कारण है कि यहां क्रेन तक उपलब्ध नहीं है। हालांकि सार्वजनिक निर्माण विभाग को भी समय-समय पर इसका जायजा लेना चाहिए, लेकिन नहीं हो पा रहा। जाहिर सी बात है यदि निरीक्षण किया जाता तो इस तरह की खामियां भी सामने जरूर आती। औपचारिक निरीक्षणों के कारण टोल रोड पर न तो कभी सुविधाएं बहाल हुई और न वाहन चालकों को सुविधा मिल सकी।

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