- जनता के दुखदर्द का किसी के पास इलाज नहीं
@मनोजसिंह
सिरोही. सरूपगंज के समीप काछोली गांव में सरकारी कार्यालय न तो समय पर खुलते हैं और न जनता के काम हो रहे हैं। यहां तक कि कार्मिकों को कोई कहने वाला तक नहीं है। ऐसे में जनता के कोई काम होना तो दूर कोई सुनने वाला भी नहीं है।
गांव में न तो समय पर सफाई हो रही है और न समय पर पानी मिल रहा है। लोग महंगे दामों पर टैंकर मंगवाने या कृषि कुओं से पानी लाने को मजबूर है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी कार्यालय बने हुए हैं, लेकिन अधिकतर तालें में ही बंद रहते हैं।
तनख्वाह नहीं मिलने से जलापूर्ति भी बंद
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जलापूर्ति का कोई समय तय नहीं है। एक-दो बार कर्मचारी से कहा गया तो जवाब मिला कि समय तनख्वाह नहीं मिल रही है इसलिए जलापूर्ति भी नहीं कर रहे। इसमें कितना सच है यह तो पता नहीं, लेकिन कर्मचारियों के वेतन-भत्ते ग्रामीण कहां से भरे यह बताना मुश्किल है।
अक्सर तालें में बंद रहते हैं दफ्तर
गांव के जगेसिंह देवड़ा ने बताया कि ग्राम पंचायत के तालें भी कई बार बंद ही रहते हैं। लोग चक्कर काटकर चले जाते हैं, लेकिन कोई जवाब देने वाला नहीं मिलता। आरोप लगाया कि मनरेगा कार्यों में भी धांधली है, जिनकी उच्चाधिकारियों से जांच की जानी चाहिए। गांव के अन्य सरकारी दफ्तरों के भी लगभग ऐसे ही हाल है। गांव में सफाई बुरी तरह से चरमरा चुकी है।
आने-जाने का समय तय नहीं
ग्रामीण बताते हैं कि सरकारी कार्यालय खुलने का समय गुजर जाने के बाद भी कार्मिक दफ्तर नहीं पहुंचते। गांव के अधिकतर कार्यालयों में कर्मचारी ग्यारह से साढ़े ग्यारह बजे तक आते हैं। आधा दिन गुजर जाए तो फिर ताला खुलता ही नहीं।#Sirohi. In Kacholi village near Sarupganj, neither government offices open on time nor public works are being done.