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कृष्ण-सुदामा मिलन पर श्रद्धालु भावुक, श्रीकृष्ण विवाह में झूमे

  • श्रीमद् भागवत कथा के दौरान जीवंत नाट्य मंचन, संतों ने कहा हाथ से काम और मुख से लें राम का नाम

सिरोही. बाल गोपाल गोशाला सेवा समिति प्रांगण में चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन रविवार को कृष्ण सुदामा मिलन व श्रीकृष्ण रुकमणि विवाह का नाट्य मंचन किया गया। जीवंत मंचन को लेकर श्रद्धालु भाव-विभोर हुए।

कथावाचक संत कृपाराम महाराज ने कहा कि जीवन उद्धार के लिए हरि कीर्तन करना चाहिए। व्यक्ति को हाथ से काम व मुख से श्रीराम का जाप करना चाहिए। वसुधैव कुटुम्बकम को आधार बताते हुए सम्पूर्ण विश्व को अपना परिवार मानकर चलने की बात कही। पवनदेव महाराज ने युवाओं को व्यसन और फैशन छोड़कर सत्संग अपनाने का संदेश दिया। इस दौरान दंडी स्वामी देवानंद महाराज, सतीमाता मंदिर महंत दामोदरदास, आनंद महाराज, सोनाणा खेतलाजी के भक्त राजू महाराज, ओटाराम देवासी का सान्निध्य रहा। गोभक्त मोतीसिंह, भंवर रावल, सुरेश प्रजापत, अंकित रावल, लालजी खंडेलवाल, कुलदीप सोनी, जबरसिंह चौहान सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।

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अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा
संत ने कहा कि स्व दामा यस्य स: सुदामा अर्थात अपनी इंद्रियों का दमन कर ले वही सुदामा है। सुदामा की मित्रता भगवान के साथ निस्वार्थ थी। उन्होंंने कभी उनसे सुख साधन या आर्थिक लाभ प्राप्त करने की कामना नहीं की। सुदामा की पत्नी की ओर से पोटली में भेजे गए चावलों ने भगवान श्रीकृष्ण से सारी हकीकत कह दी। इससे प्रभु ने बिन मांगे ही सुदामा को सब कुछ प्रदान कर दिया।

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मित्रता में कभी धन-दौलत आड़े नहीं आती
श्रद्धालुओं को बताया कि सुदामा के आने की खबर पाकर किस प्रकार श्रीकृष्ण दौड़ते हुए दरवाजे तक गए थे। पानी परात को हाथ छूवो नहींं, नैनन के जल से पग धोये अर्थात श्रीकृष्ण अपने बाल सखा सुदामा की आवभगत में इतने विभोर हो गए कि द्वारका नाथ हाथ जोड़कर और अंग लिपटाकर जल भरे नेत्रोंं से सुदामा का हालचाल पूछने लगे। इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता में कभी धन-दौलत आड़े नहीं आती। सुदामा चरित्र की कथा का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया

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भगवान पर हुई पुष्प वर्षा
कथा स्थल पर रूकमणि विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुकमणी की वरमाला पर फूल वर्षा की गई। विवाह की झांकी ने श्रद्धालुओं को आनंदित किया। कृपाराम महाराज ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुकमणि विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। कथा के दौरान महारास लीला, उद्धव चरित्र, श्रीकृष्ण मथुरा गमन समेत अन्य प्रसंगों का वर्णन किया।

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