
- आबूरोड के पास आदिवासी बहुल गांव के प्राइमरी स्कूल का दर्द
- जानिए इन हालातों में कितना सार्थक है शिक्षक दिवस
आबूरोड (सिरोही). देशभर में 5 सितम्बर को शिक्षक दिन (TEACHERDAY2022) मनाया जा रहा है। बेशक शिक्षकों की तनख्वाह बहुत बढिया होने से उनकी माली हालत बेहतरीन है। पर, स्कूल भवन को लेकर शिक्षकों की चिंताएं क्या है इसको लेकर चिंता करने वाला कोई नहीं है। जहां स्कूल भवनों की हालत खराब ही नहीं, अत्यधिक खराब है वहां शिक्षकों को मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ती है। अमूमन बच्चों के लिए सुविधाओं का अभाव होने या भवन जर्जर हालत में होने पर शिक्षकों का चिंतित रहना लाजिमी है। कमोबेश ऐसे ही एक जर्जर हाल भवन वाले स्कूल का हाल हम यहां आपको बता रहे हैं, जिसको लेकर वहां कार्यरत तीनों शिक्षक अक्सर बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। यह स्कूल है सिरोही जिले के आदिवासी बहुल देलदर (ABUROAD) तहसील की उपलागढ़ पंचायत के उपली बोर की केइगराफली का राजकीय प्राथमिक विद्यालय।

दरअसल केइगराफली (उपलीबोर) में दो स्कूल हैं। एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय है, जबकि दूसरा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय है, जो हाल ही में राजकीय माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत हो चुका है। इनमें से राजकीय प्राथमिक विद्यालय भवन जर्जरहाल है। कुल जमा चार कमरों वाले इस भवन की चारदीवारी का कार्य सालों से अधूरा पड़ा है। जिससे गाय-भैंस, बकरियां, श्वान, बिल्लियां आदि आते रहते हैं। स्कूल भवन के चार में से एक कमरे में मीड-डे-मिल बनता है। इसस कुत्ते-बिल्लियों के खाने में मुंह मारने की आशंका बनी रहती है। खाने को बचाने के लिए कुक व कुक कम हेल्पर को न केवल सतर्कता बल्कि बड़ी सावधानी बरतनी होती है। कई बार कुत्ते या बिल्ली के मुंह मारने से खाने में लार गिरने पर बच्चों में कई गंभीर बीमारियां होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

फिर, गाय-भैंस के गोबर से स्कूल परिसर में गंदगी फैलती रहती है। एक कमरा स्कूल ऑफिस व स्टाफ रूम के रूप में काम में लिया जाता है। दो कमरों में पांच कक्षाओं के बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं। करीब सत्तर के आसपास बच्चे होने से दो कमरों में मुश्किल से बैठ पाते हैं। बारिश के दिनों में तो स्थिति और खराब हो जाती है। सीमेंटेड फर्श जगह-जगह उखड़ा होने से छत से टपकने वाला पानी खड्डों में जमा हो जाता है। वहां बैठकर पढऩा दुश्वार हो जाता है। छत से टपकते पानी से बचना भी मुश्किल हो जाता है। पीने के पानी की सुविधा नहीं होने से बच्चों को पानी लाने के लिए करीब एक किलोमीटर दूर स्थित कुएं से पानी भरकर लाना पड़ता है। कुएं से पानी निकालना भी नन्हे बच्चों के लिए जोखिम भरा होता है। कभी भी हादसा होने व जनहानि होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

तकलीफ भारी है …
स्कूल मेंं केइगराफली, माताफली व उपली बोर के बच्चे पढऩे आते हैं, पर न तो चारदीवारी है और ना ही कक्षा-कक्ष पर्याप्त संख्या में है। तकलीफ भारी है। बिजली तो है पर पेयजल की सुविधा नहीं है।
- हरिराम, प्रधानाध्यापक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, उपली बोर (उपलागढ़)
बहुत समस्याएं है…
स्कूल में कई समस्याएं हैं। चारदीवारी के अभाव में पोषाहार के भोजन को कुत्ते-बिल्लियों से बचाना मुश्किल हो जाता है। कमरों के अभाव में सब बच्चे साथ में बैठकर पढ़ाई करते हैं।
- वेलाराम, ग्रामीण, उपली बोर (उपलागढ़)