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चुनावी दंगल: निर्दलीय के कंधों पर कांग्रेस, भाजपा में दो विधायक व सांसद की साख दांव पर

  • जिले में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं, निर्दलीय, राज्यसभा सदस्य व पूर्व विधायक डटे रहे
  • चुनाव को देखते हुए भाजपा में दो विधायक, सांसद व एक पूर्व राज्यमंत्री सक्रिय रहे

सिरोही. जिले में पंचायतराज चुनाव को लेकर जहां राज्य सरकार की साख दांव पर लगी हुई है, वहीं विपक्षी दल अपने आप को मजबूत करने में जुटा हुआ है। आमतौर पर पंचायतराज चुनावों में सत्ताधारी दल को फायदा मिलने का अनुमान रहता है, लेकिन इस बार सिरोही में सत्ताधारी दल का एक भी विधायक नहीं है। यहां कांग्रेस की नैया निर्दलीय विधायक के कंधों पर है। विधानसभा में टिकट कटने के बाद कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे संयम लोढ़ा जीते। इसके बाद वे सत्ता पक्ष से जुड़ गए। इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से पूरा दारोमदार वे ही संभाल रहे हैं। जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में वे लगातार मजबूती से डटे रहे। वैसे कांग्रेस में राज्यसभा सदस्य नीरज डांगी भी जिले के रेवदर क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। साथ ही रानीवाड़ा से पूर्व में विधायक रहे रतन देवासी भी सिरोही में सक्रिय रहे, लेकिन इन चुनावों में हार-जीत के लिहाज से संयम की साख ज्यादा दांव पर लगी बताई जा रही है। दूसरी ओर भाजपा से सिरोही जिले में दो विधायक हैं। वे भी एक-दो बार से नहीं बल्कि लगातार चार-चार बार के भी। सिरोही विधानसभा क्षेत्र से हारे हुए पूर्व राज्यमंत्री भोपाजी ओटाराम देवासी भी अपनी साख बनाए रखने के लिए मैदान में हैं। ये सभी कद्दावर नेता जिले में लगातार दौरे पर रहे एवं भाजपा प्रत्याशियों को जिताने की जोर-आजमाइश में लगे रहे। अब चुनाव परिणाम ही तय करेंगे कि कांग्रेस का पलड़ा भारी रहता है या भाजपा का।

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कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस की ओर से दारोमदार संभाल रहे संयम लोढ़ा अभी निर्दलीय विधायक हैं। वहीं राज्यसभा सदस्य नीरज डांगी रेवदर क्षेत्र से पूर्व में हार का सामने कर चुके हैं। रानीवाड़ा से विधायक रहे रतन देवासी भी विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। इसके बाद सांसद प्रत्याशी के रूप में भी मैदान में उतरे, लेकिन वापस हार का सामना करना पड़ा।

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भाजपा की स्थिति
भाजपा में सिरोही विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार विधायक रहे ओटाराम देवासी राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। वे पूर्व में संयम लोढ़ा को लगातार हराते हुए ही विधायक बने थे, लेकिन इस बार लोढ़ा ने निर्दलीय मैदान में उतरते हुए उन्हें राज्यमंत्री रहते हुए भी पटखनी दे दी। रेवदर विधायक जगसीराम कोली व आबू-पिण्डवाड़ा विधायक समाराम गरासिया लगातार जीतते आ रहे हैं। देवजी पटेल भी लगातार तीसरी बार सांसद हैं।

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हार-जीत के नतीजे प्रशस्त करेंगे राह
जिला प्रमुख रह चुके चंदनसिंह देवड़ा, प्रधान रह चुके लुम्बाराम चौधरी, अचलाराम माली, दलीपसिंह, हंजादेवी, यूआईटी अध्यक्ष रह चुके हरीश चौधरी समेत कई कददावर नेताओं की साख दांव पर हैं। इन चुनावों में हार-जीत के नतीजे इनके वापस प्रधान या प्रमुख बनने की राह प्रशस्त करेंगे।

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फिर सख्त हो जाएगी बाडेबंदी
वैसेचुनाव परिणाम के बाद भी जोड़-तोड़ की राजनीति हावी हो सकती है। इससे बचाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी पहले से ही कर रखी है। परिणाम आने के साथ ही बाड़ेबंदी और ज्यादा सख्त हो जाएगी। जिला प्रमुख व प्रधान का निर्वाचन होने तक राजनीतिक दलों के कद्दावर अपनी साख बनाए रखने के लिए पूरी तरह चौकस नजर आएंगे।

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