
- फसलों को पाले से बचाने के लिए कृषि विशेषज्ञों ने दिए सुझाव
सिरोही. बर्फानी हवा चलने से फसलों में पाले का अंदेशा बढ़ गया है। तेज सर्दी, दिनभर ठंडी और तेज हवा चलने और शाम हवा की गति रूकने से पाले की स्थिति बन सकती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार हवा की इस स्थिति में रात को यदि आसमान साफ रहे और वायुमण्डल में नमी की मात्रा कम हो तो उस रात पाला गिरने की संभावना बढ़ जाती है। अमूमन रात 12 से 4 बजे के बीच पाला पडऩे का खतरा ज्यादा रहता है। किसानों को अपनी फसलों को पाले से बचाने के लिए कुछ खास उपाय किए जाने चाहिए। इससे फसलों में नुकसान का अंदेशा कम हो जाता है।#Sirohi. Fear of frost in crops increased due to blowing snow
पूर्वानुमान पर आग लगाकर धुआं करें
उप निदेशक (उद्यान) डॉ. हेमराज मीना ने बताया कि पाला पडऩे का पूर्वानुमान होने पर खेत की उत्तरी दिशा में अद्र्ध रात्रि में सूखी घास-फूस, सूखी टहनियां, पुआल आदि को आग लगाकर धुआं करना चाहिए। इससे फसलों को पाले से बचाया जा सकता है। धुआं करने से खेत में गर्मी बनी रहती है और पौधों के चारों और तापमान में गिरावट नहीं आती है।#sirohi-Agriculture Advisory Of Experts To Protect Crops From Cold Wave
फव्वारा सिंचाई को ज्यादा लाभदायक बताया
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि आग इस प्रकार ढेरियां बनाकर लगाई जाए कि खेत में फसल के ऊपर धुएं की पतली परत सी बननी चाहिए। खेत में जितना अधिक धुआं फैलेगा उतना ही अधिक तापमान भी बना रहेगा। ज्यादा धुआं करने के लिए घास-फूस के साथ जला ऑयल भी डाल सकते हैं। पाले का पूर्वानुमान होने पर खेत में हल्की सिंचाई देने से भूमि गर्म और नम बनी रहती है। सिंचाई देने से भूमि का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। किसानों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा हो तो ज्यादा लाभदायक रहता है।
गंधक के तेजाब के घोल का छिडक़ाव करें
सुझाव में बताया कि जिस दिन पाला गिरने की संभावना हो तो फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिडक़ाव करना चाहिए। एक लीटर गंधक के तेजाब को एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर छिडक़ाव करें। गंधक के तेजाब का असर दो सप्ताह तक रहता है। गंधक के तेजाब का छिडक़ाव करने के लिए केवल प्लास्टिक स्प्रेयर का ही उपयोग करना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि घोल की फुहार पूरे पौधे पर अच्छी तरह लग जाए। यदि पाला गिरने की संभावना हो तो पखवाड़ेभर में वापस छिडक़ाव करना चाहिए।
पौधशाला में छप्पर या प्लास्टिक बाधें
पौधशाला (नर्सरी) में पौधें छोटी अवस्था में होते हैं, जो कम तापमान के प्रति अधिक संवेदनशील होते हंै। इस कारण नर्सरी में पाले से अधिक नुकसान होता है। नर्सरी के पौधों को पाले से बचाने के लिए रात्रि के समय बोरी के टाट या घास-फूस से पौधों को ढक देना चाहिए। ढकते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि सुबह और दोपहर को धूप मिलती रहे। बोरी के टाट या घास-फूस का उपयोग दिसम्बर से फरवरी तक करें तथा मार्च माह की शुरुआत में हटा दें। पौधशाला में प्लास्टिक की चादर से ढक कर भी पौधों को पाले से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। पौधशाला में छप्पर डालकर और खेत में रोपित पौधों के थावलों के चारों ओर कड़बी अथवा मूंज की टाटी भी बांधी जा सकती है।
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