… तो क्या किसी की मौत या बड़ी दुखांतिका का इंतजार है

- नकली शराब मिलने के बावजूद किसी की जिम्मेदारी तय नहीं
- महकमों की शिथिलता नकली शराब बिकवाली को दे रही शह
सिरोही. जिले में नकली शराब का मामला पकड़ में आने के बाद भी पुलिस व आबकारी महकमा चुप्पी साधे नजर आ रहा है। इस आदिवासी क्षेत्र और गुजरात बॉर्डर से सटी दुकान में नकली शराब मिलने के बावजूद किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। तो क्या अधिकारी नकली शराब से किसी की मौत या पाली-जोधपुर जैसी शराब दुखांतिका का इंतजार कर रहे हैं। आबूरोड में कार्यरत आबकारी निरीक्षक व अन्य कार्मिक और पुलिस महकमे में भी सम्बंधित थाने के कार्मिकों की कोई जवाबदेही तय नहीं की गई। जब नकली शराब मिल चुकी है तो किसी पर भी कार्रवाई क्यों नहीं हुई। सवाल यह भी कि अधिकारी क्या किसी की मौत के बाद ही चेतते हैं। चाहे जो भी हो, लेकिन इस तरह की शिथिलता ही नकली शराब की बिकवाली को शह दे रही है।
इनको दिखी तक नहीं नकली शराब
स्थानीय अधिकारियों की शिथिलता का आलम तो यह है कि इनको अपने क्षेत्र में बिक रही नकली शराब के बारे में जानकारी तक नहीं है। डेरना के शराब ठेके पर भी राजसमंद से आए अधिकारी ने कार्रवई की है। इसके बाद जिले के अधिकारी सावचेत हुए और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।
कोई आकलन नहीं कितना नकली बेचा
बताया जा रहा है कि डेरना के ठेकेदार ने अजमेर जिले में भी शराब की दुकानें ले रखी है। डेरना समेत अन्य दुकानों पर कितने समय से नकली शराब बेची जा रही थी इसका कोई आकलन महकमे के पास नहीं है। अब तो यही है कि सांप गुजर जाने के बाद लकीर पीटी जा रही है
इसलिए बिकती रही नकली शराब
स्थानीय स्तर पर जिम्मेदार कार्मिक यदि लगातार मॉनिटरिंग रखते तो नकली शराब का मामला पहले ही पकड़ में आ जाता। ऐसा भी नहीं है कि डेरना गांव आबूरोड से कोई ज्यादा दूर या अंदरूनी हिस्से में हो। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर शराब दुकान की जांच में ढिलाई बरती गई। यही कारण रहा कि आदिवासी क्षेत्र और गुजरात बॉर्डर से सटी इस दुकान में नकली शराब बिकती रही।
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