![...so will the corona infected doctors also give duty, the PMO considered the quarantine period as voluntary non-attendance](https://rajasthandeep.com/wp-content/uploads/2021/12/district-hospital-sirohi-2.jpg)
- जिला अस्पताल के चिकित्सक को भेजा नोटिस, 8 माह बाद भी नहीं किया निस्तारण
सिरोही. कोरोना संक्रमित होने के बाद भी डयूटी पर आना चाहिए, अन्यथा स्वैच्छिक रूप से गैर हाजिर माना जा सकता है। यह हम नहीं बल्कि जिला अस्पताल (sirohi district hospital) के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (pmo) कह रहे हैं। जी हां, पीएमओ ने जिला अस्पताल के चिकित्सक को क्वारंटीन अवधि में घर पर रहने को स्वैच्छिक रूप से गैर हाजिर मानते हुए नोटिस जारी किया है। आठ माह पहले थमाए गए इस नोटिस का निस्तारण अभी तक नहीं हो पाया है। पीएमओ ने इस मामले में विभागीय मार्गदर्शन लेने के बजाय फाइल सीधे ही जिला प्रशासन को भेज दी। ऐसे में मामला आठ माह से लटका हुआ है। मामला जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.प्रदीपकुमार चौहान (dr.pradeep kumar chauhan) से जुड़ा हुआ है। कोरोना काल में जिस चिकित्सक ने अपने स्वास्थ्य व जान की परवाह किए बगैर मरीजों को सेवाएं दी हो उसे सम्मान मिलने के बजाय आहत किया जा रहा है। मरीजों की सेवा करते-करते ये दो बार कोरोना संक्रमित भी हो गए पर सेवा का जज्बा ऐसा कि ठीक होने के बाद वापस मैदान में डटे रहे।
उधर, कोरोना काल में होम क्वारंटीन की अवधि को चिकित्सा विभाग स्वैच्छिक रूप से गैर हाजिर होना मान रहा है। सामान्य रूप से भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति को जब घर में ही अलग-थलग रूप से रहना पड़ता हो तो एक चिकित्सक को कितनी एहतियात बरतनी पड़ती होगी यह सोच सकते हैं। इसके बाद भी कोरोना में क्वारंटीन की अवधि को पीएमओ ने गैर हाजिर मानते हुए नोटिस जारी कर दिए। मामला यहीं नहीं रूका। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (पीएमओ) ने इस मामले को विभाग के ध्यान में लाने के बजाय गेंद प्रशासन के पाले में डाल दी। अब आठ माह हो गए, लेकिन न तो मामले का निस्तारण हुआ और न ही चिकित्सक को राहत मिली। मामला लटकाए रखते हुए पीएमओ ने चिकित्सक की वार्षिक वेतन वृद्धि तक रोक दी। कोरोना काल में जोखिम उठाते हुए और दो-दो बार कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद सेवा में डटे रहे चिकित्सक को विभागीय स्तर पर सम्मानित करना तो दूर आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाया जा रहा है। ऐसा क्यों हुआ यह तो पता नहीं, लेकिन पीएमओ की ओर से निकाले गए मनमर्जी के आदेश ने कर्मठता से कार्य कर रहे कोरोना वॉरियर को आर्थिक एवं मानसिक रूप से भी प्रताडऩा जरूर दे दी है। यह भी सोचनीय है कि पूरा मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद आखिर इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया जा रहा।
फिर भी रिलीव आदेश निकला
यह मामला अप्रेल माह का है, जब सिरोही जिला कोरोना की दूसरी लहर की गिरफ्त में था। जिले के सभी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों की कतारें लगी हुई थी। प्रतिदिन लगभग पांच-सात मरीजों की सांसें थम रही थी। ऐसे समय में चिकित्सा विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर ने 16 अप्रेल को आदेश जारी कर सिरोही जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.प्रदीपकुमार चौहान को कार्य व्यवस्था के लिए आबूरोड लगा दिया, जबकि उस समय जिला अस्पताल में ही चिकित्सकों की भारी कमी थी। मरीजों की कतार को देखते हुए अन्य जगहों से भी डॉक्टर लगाए जाने की जरूरत थी। इसके बावजूद पीएमओ ने तत्काल ही उन्हें आबूरोड के लिए रिलीव कर दिया। बताया जा रहा है कि इस सम्बंध में डॉ.प्रदीपकुमार चौहान ने पीएमओ से किसी अन्य को आबूरोड भेजने की व्यवस्था किए जाने का भी आग्रह किया था, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
क्वारंटीन से आए और गैर हाजिर मान लिया
जिला अस्पताल में चिकित्सकों की जरूरत के बावजूद पीएमओ ने ज्वाइंट डायरेक्टर से ये आदेश निरस्त कराए जाने या अन्य चिकित्सक को आबूरोड भेजे जाने में कोई रुचि नहीं ली। इस दौरान कोरोना संक्रमितों का उपचार करते हुए डॉ.प्रदीपकुमार चौहान खुद संक्रमित हो गए। इससे होम क्वारंटीन होना पड़ा। ऐसे में डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पताल में स्थिति और ज्यादा गंभीर हो गई। करीब दस दिन बाद ही 26 अप्रेल को ज्वाइंट डायरेक्टर ने अपने पूर्व के आदेश को निरस्त करते हुए पूर्व की स्थिति बहाल करने के आदेश जारी किए। तब तक स्थिति और बिगड़ चुकी थी। उधर, होम क्वारंटीन से आए डॉ.प्रदीपकुमार चौहान ने वापस अपनी उपस्थिति सिरोही के जिला अस्पताल में दी। लेकिन, कार्यवाहक पीएमओ ने उनके क्वारंटीन अवधि को स्वैच्छिक रूप से गैर हाजिर होना बताते हुए नोटिस थमा दिया।
नोटिस का जवाब देने के बाद भी ऐसी कार्रवाई
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. प्रदीपकुमार चौहान ने नोटिस के जवाब में बताया कि जिस अवधि को स्वैच्छिक गैर हाजिर होना बताया जा रहा है वे उस समय कोरोना पीडि़त होने से क्वारंटीन थे। लेकिन, पीएमओ ने इस जवाब को संतुष्टिपूर्ण नहीं माना तथा वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने की कार्यवाही कर दी। साथ ही क्वारंटीन अवधि के अवकाश को भी स्वीकृत नहीं किया। इस मामले में चिकित्सा विभाग से मार्गदर्शन लेने के बजाय फाइल सीधे ही जिला कलक्टर को भेज दी। अब आठ माह बीत जाने के बाद भी न तो इस मामले का समुचित रूप से निस्तारण किया है और न ही चिकित्सक को राहत दी जा रही है।#sirohi.so will the corona infected doctors also give duty, the PMO considered the quarantine period as voluntary non-attendance