
- पशुपालकों के लिए नाकाफी है एक आवासीय विद्यालय
- सिरोही, जालोर व बाड़मेर में पशुपालकों की बड़ी आबादी
सिरोही. पशुपालकों के लिए पशु चराई और उनसे होने वाली आय ही जीवनयापन का सहारा है। पशु चराई के लिए अपने गांव और घर से कई माह तक दूर रहना पड़ता है। ऐसे में इनके बच्चों की पढ़ाई पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। हालांकि निष्क्रमणीय पशुपालकों के लिए सिरोही में एक आवासीय विद्यालय हैं भी, लेकिन दो-तीन जिलों में पशुपालकों की बड़ी आबादी होने से यह नाकाफी साबित हो रहा है। इस सम्बंध में भाजपा नेता नारायण देवासी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने पशुपालकों के हित में पैरवी करते हुए बताया है कि पशुपालकों के बच्चों को आखिर शिक्षा से वंचित क्यों रहना पड़ रहा है। माता-पिता यदि पशु चराई के लिए जा रहे हैं तो बच्चों की शिक्षा के लिए भी ठोस व्यवस्था की जानी चाहिए।
इसलिए बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं
उन्होंने बताया कि पशुपालक अपने पशुओं को लेकर चराई के लिए जाएंगे तो बच्चे किसके सहारे पर रहेंगे। गांव में कोई नहीं होने पर बच्चों को भी साथ ले जाना पड़ता है। कई महीनों तक आगे से आगे घूमते रहने के कारण इनका स्थायी आवास नहीं रहता। ऐसे में पशुपालकों के बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
पशुधन निष्क्रमण मार्ग में व्यवस्था की दरकार
भाजपा नेता नारायण देवासी ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया कि परिवार के पलायन करने पर अध्ययनरत छात्र छात्राओं को भी पढ़ाई छोड़ कर उनके साथ जाना पड़ता है। अक्सर कम उम्र के बच्चे परिवार के बगैर गांव में अकेले नहीं रह सकते। लिहाजा सिरोही जिले में पशुधन निष्क्रमण मार्ग के पिंडवाड़ा, रेवदर तथा सिलदर (कालन्द्री) क्षेत्र में व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालकों के छात्र-छात्राओं की शिक्षा व्यवस्था के लिए आवासीय विद्यालय खोलने की दरकार है।#sirohi. Need to open residential schools… children of displaced cattle herders will not be forced to migrate
पड़ोसी राज्यों में महीनों प्रवास पर रहते हैं
जालोर, बाड़मेर व सिरोही में परंपरागत पशुपालक मुख्य रूप से देवासी समाज के लोगों की अधिक आबादी है। यह वर्ग अपने परिवार के पालन पोषण के लिए पशुपालन का परंपरागत कारोबार करते हैं तथा पशु चराई के लिए रेवड़ लेकर महीनों तक बाहर रहते हैं। ये लोग पड़ोसी राज्य गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा की ओर पलायन करते हैं।
… ताकि पिछड़े वर्ग के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके
उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने जिला मुख्यालय पर देवनारायण बालिका आवासीय विद्यालय बनाया है जिसमें बालिकाएं अध्ययन करती हैं। लेकिन, पशुपालकों की बड़ी आबादी वाला क्षेत्र होने से यह व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। पशुपालकों की बड़ी आबादी वाले सिरोही जिले में एक से अधिक आवासीय विद्यालयों की आवश्यकता है, ताकि पिछड़े वर्ग के इस पशुपालक समुदाय में बालक बालिकाओं को अच्छी शिक्षा सुविधा मिल सके। अध्ययनरत बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर नहीं पड़े तथा इनकी शिक्षा का स्तर ऊंचा उठता रहे।
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