नहीं दिया भैंस का बीमा क्लेम, अब चुकाना पड़ेगा हर्जाना

- उपभोक्ता आयोग ने की सुनवाई, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को दिए आदेश
सिरोही. जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी पर हर्जाना लगाया है। साथ ही निर्धारित समय सीमा में बीमा राशि व हर्जाना नहीं चुकाने पर ब्याज सहित वसूली के आदेश दिए हैं। मामला एक भैंस के बीमा क्लेम का है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार परिवादी ने भैंस का बीमा क्लेम नहीं चुकाने पर नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के विरुद्ध परिवाद पेश किया था। सुनवाई के बाद जिला उपभोक्ता आयोग ने इसे सेवा में दोष मानते हुए कंपनी को बीमा धन व हर्जाना देने के आदेश किए है। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मलारखान मंगलिया व सदस्य रोहित खत्री ने मामले की सुनवाई की।#sirohi-District Consumer Disputes Redressal Commission ordered National Insurance Company to pay compensation for non-payment of buffalo insurance claim
यह था मामला
परिवादी लीलाराम ने भैंस का नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के कार्यालय से बीमा करवाया था। अचानक बीमार होने से भैंस की मृत्यु हो गई, जिसका पोस्टमार्टम करवाया गया। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक ने भामाशाह पशु बीमा योजना के तहत मृत पशु का क्लेम अप्रार्थी बीमा कंपनी को भेजा, लेकिन कंपनी ने आवेदन प्राप्त नहीं होने का बहना करते हुए निस्तारण नहीं किया।
आवेदन भेजने के साक्ष्य पेश किए
मामले के अनुसार अप्रार्थी बीमा कंपनी ने जवाब दिया कि बीमा कंपनी को मृत भैंस के क्लेम का आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। इस कारण क्लेम सम्बंधी जांच व निस्तारण अप्रार्थी बीमा कंपनी की ओर से नहीं किया गया। उधर, डाकघर ने रजिस्टर्ड पार्सल गंतव्य तक समय पर भिजवा दिया था, जिसके साक्ष्य आयोग में पेश किए गए।
आयोग ने माना सेवा में दोष कारित किया
सुनवाई के दौरान आयोग ने माना कि डाकघर ने समय पर रजिस्टर्ड पार्सल अप्रार्थी बीमा कंपनी को डिलीवर कर दिया था। इसके बाद भी अप्रार्थी बीमा कंपनी ने परिवादी को बीमा क्लेम नहीं दिया। इंश्योरेंस कंपनी ने परिवादी के भैंस का बीमा कर प्रिमियम लिया तथा बीमा क्लेम नहीं देकर सेवा में दोष कारित किया है।
एकमुश्त राशि 10 हजार रुपए अदा करने के आदेश
आयोग ने सुनवाई के बाद आदेश जारी किए। इसके तहत परिवादी की बीमित मृत भैंस का बीमा क्लेम राशि 50 हजार रुपए एवं मानसिक, शारीरिक, आर्थिक तथा परिवाद व्यय के रूप में एकमुश्त राशि 10 हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए। साथ ही आदेश दिए कि यह राशि 45 दिनों में अदा नहीं करने पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर से वसूल की जा सकेगी।