- वाहन चलाना आए या नहीं पर लाइसेंस बन सकता है
- कार्यालय के पास टेस्ट लेने के लिए ड्राइविंग ट्रेक तक नहीं है
सिरोही. यदि आपको वाहन चलाना नहीं आता है तो भी आप लाइसेंस बना सकते हैं। चौकना लाजिमी पर हकीकत यही है। सिरोही परिवहन विभाग में लम्बे समय से यही चल रहा है। परिवहन विभाग में आने वाले आवेदकों को सुविधा शुल्क लेकर बगैर टेस्ट ही पास किया जा रहा है। विभाग के पास टेस्ट लेने के लिए कोई ड्राइविंग ट्रेक तक नहीं है। लिहाजा बगैर टेस्ट लिए ही आवेदक पास हो रहे हैं।
बेकार साबित हो रहा पुराना ट्रेक
कहने को परिवहन विभाग कार्यालय में एक ड्राइविंग ट्रेक बना हुआ है, लेकिन लम्बे समय से इसका उपयोग नहीं हो रहा है। ऐसे में ट्रेक पर कंटीली झाडिय़ां उग आई है। ट्रेक के किनारों पर कबाड़ पड़ा रहता है सो अलग। वैसे भी इस ट्रेक का जब इस्तेमाल ही नहीं हो रहा तो झाडिय़ां रहे या कबाड़ क्या फर्क पड़ता है।
एजेंटों के जरिए पहुंच रहा मोटा पैसा
बताया जा रहा है कि लम्बे समय से ट्रेक का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। परिवहन निरीक्षक अपने कक्ष में ही बैठकर आवेदकों को पास कर रहे हैं। इसके बदले में एक निर्धारित राशि ली जा रही है, जो मोटी राशि रहती है। यह पैसा एजेंटों के जरिए निरीक्षकों तक पहुंच रहा है। इसमें किसका कितना हिस्सा है यह पहले से ही तय रहता है।
निरीक्षक प्रतिदिन वसूल रहे 50 हजार रुपए
वैसे स्लॉट के हिसाब से प्रतिदिन 40 से 45 आवेदकों का टेस्ट लेना होता है, लेकिन इनमें से एक भी आवेदक ट्रेक पर नहीं आता। मोटे तौर पर एक लाइसेंस के लिए आवेदक से हजार से बारह सौ रुपए तक वसूले जा रहे हैं। ऐसे में 40 से 50 हजार रुपए की मोटी रकम निरीक्षकों की जेब तक पहुंच रही है।
… तो क्या जिला अधिकारी की स्वीकृति है
परिवहिन विभाग में चल रहे इस तरह के घपले को लेकर अधिकारी भी मूकदर्शक बने हुए हैं। ऐसा तो नहीं हो सकता कि जिला परिवहन अधिकारी को इसकी जानकारी तक न हो कि कार्यालय परिसर में बना ट्रेक अर्से से उपयोग में नहीं आ रहा, फिर भी लाइसेंस बन रहे हैं। बताया जा रहा है कि अधिकतर निरीक्षक जिला अधिकारी के कक्ष में बैठकर ही आवेदकों को पास कर रहे हैं। इस सम्बंध में जिला परिवहन अधिकारी रजनीश विद्यार्थी से जानकारी चाही गई, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
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