- परिवारवाद व पुत्र को सत्ता तक पहुंचाने का मोह छूट नहीं रहा
- सिरोही-जालोर के बीच लगातार चक्कर काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री
- लोकसभा चुनाव 2024
सिरोही/जालोर. जालोर संसदीय क्षेत्र ‘हाथ’ के हाथ से जाने के बाद लगातार प्रत्याशी बदले जा रहे हैं, लेकिन सफलता कोसों दूर नजर आ रही है। कांग्रेस ने इस बार जालोर संसदीय क्षेत्र के लिए जिस पैराशूट उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। उसके लिए मुख्यमंत्री को खुद भी मैदान में दौडऩा पड़ रहा है। इसलिए कि पैराशूट उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री का पुत्र है। कहने को पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं, लेकिन पुत्र की खातिर इनको जालोर-सिरोही के बीच चक्कर काटने पड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री रहते सिरोही-जालोर में इनका दौरा कभी-कभार होता रहा है, लेकिन हाल ही के दिनों में ये लगातार यहां सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। चाहे जो हो, लेकिन कांग्रेस में परिवादवाद और पुत्र को सत्ता तक पहुंचाने का मोह छूट नहीं रहा।#After fielding his son, former Chief Minister Ashok Gehlot is constantly roaming between Sirohi and Jalore.
सफलता नहीं मिली तो पुत्र को मैदान में उतारा
पिछले बीस सालों से यह सीट भाजपा के कब्जे में हैं। कांग्रेस के बूटासिंह (bootasingh) से यह सीट बी. सुशीला ने ले ली थी। इसके बाद से देवजी पटेल लगातार इस सीट पर जीतते रहे। इस दौरान कांग्रेस ने यहां से चेहरे बदले पर सफलता नहीं मिली। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री (ashok gehlot) ने अपने पुत्र को ही मैदान में उतार दिया।
कांग्रेस में उतारते रहे हैं पैराशूट उम्मीदवार
वैसे देखा जाए तो कांग्रेस में पैराशूट उम्मीदवार उतारे जाने का लम्बा विवरण है। हाल ही के कई चुनावों में इस तरह कई बार हो चुका है। फिर चाहे उदयलाल हो या बूटासिंह। हालांकि संध्या चौधरी व रतन देवासी आदि स्थानीय रहे, लेकिन ये प्रत्याशी कांग्रेस के लिए यह सीट नहीं निकाल पाए।
जोधपुर में हार मिली, अब जालोर से उम्मीदवारी
लोकसभा के लिए हुए गत चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र को जोधपुर (jodhpur) से टिकट मिला। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री (gajendrasingh shekhawat) के सामने इनको हार का सामना करना पड़ा। अब पांच साल बाद वापस चुनावी मैदान में उतारा गया है, लेकिन इस बार इनका क्षेत्र बदल दिया गया। जोधपुर के बाद अब ये जालोर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं।
किसी चेहरे को रिपीट नहीं कर रही कांग्रेस
जालोर संसदीय क्षेत्र हाथ (congress) के हाथ से निकल जाने के बाद वापस कब्जाने की जी तोड़ कोशिश चल रही है। इसके लिए हर बार नए-नए चेहरों पर दांव खेला जा रहा है। लगातार चेहरे बदले जा रहे हैं और एक बार भी किसी को चेहरे को रिपीट नहीं किया जा रहा। ओबीसी फेक्टर की तीन जातियों पर कांग्रेस दांव खेल चुकी है, लेकिन हर बार पटखनी मिल रही है।
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