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पुलिस व आबकारी ने तस्करों को बेच दी पांच करोड़ की शराब

  • मालखाना निस्तारण में उजागर हुई आबकारी व पुलिस महकमे की मिलीभगत
  • जिला आबकारी अधिकारी, कोषाधिकारी और एएसपी समेत कई अधिकारी सस्पेंड

डूंगरपुर. पुलिस थानों में जब्त शराब को नष्ट करने के बजाय वापस तस्करों तक पहुंचा दी गई। यह मामला करीब पांच करोड़ की शराब का था। इसके तहत मालखाना निस्तारण में पुलिस व आबकारी महकमे की मिलीभगत उजागर हुई है। निस्तारण के लिए एकत्र शराब तस्करों को बेच दी गई तथा तस्करों ने इस माल को गुजरात में बेच दिया। राज खुलने पर जांच शुरू हुई तो कई अधिकारी लपेटे में आना बताया जा रहा है। प्रथमदृष्टया अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, जिला आबकारी अधिकारी, कोषाधिकारी समेत अन्य कई अधिकारियों का इसमें हाथ होना बताया जा रहा है। लिहाजा ये सभी सस्पेंड किए जा चुके हैं। इसमें डूंगरपुर एएसपी, जिला आबकारी अधिकारी और कोषाधिकारी शामिल है।

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एसडीएम व आबकारी इंस्पेक्टर भी दायरे में
उधर, इसी मामले में एएसपी अनिल मीणा, बिछीवाड़ा थानाधिकारी रणजीतसिंह व मालखाना प्रभारी रतनाराम को पहले ही सस्पेंड कर दिया है। शराब निस्तारण कमेटी में बिछीवाड़ा एसडीएम अश्विनकुमार, आबकारी इंस्पेक्टर कुमार राजीवसिंह और आबकारी ऑफिस के ही सहायक अनिलकुमार मीणा भी शामिल थे। कमेटी में शामिल आठ में से पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले में जांच चल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि बाकी तीन अधिकारियों पर भी आगे कार्रवाई की जाएगी।

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मिलीभगत के आरोपों सस्पेंड
जानकारी के अनुसार जिला कोषाधिकारी जितेंद्रकुमार मीणा को संयुक्त शासन सचिव की ओर से निलंबित किया गया है। वहीं, जिला आबकारी अधिकारी हरीश रोलन को भी सस्पेंड किया है। दोनों ही अधिकारियों को बिछीवाड़ा में शराब के निस्तारण की जगह तस्करों को बेचने के आरोप में निलंबित किया गया है। 25 से 31 अगस्त तक बिछीवाड़ा थाने में जब्त साढ़े नौ हजार कर्र्टन शराब के निस्तारण की कार्रवाई की गई। यह माल वर्ष 2012 से 2020 तक 26 केस में पकड़ा था। आरोप है कि मालखाना निस्तारण में शामिल अधिकारियों ने मिलीभगत करते हुए यह माल तस्करों को बेच दिया।

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एसडीएम की भूमिका भी संदिग्ध
बताया जा रहा है कि शराब निस्तारण मामले के लिए गठित कमेटी में कुल आठ अधिकारी शामिल थे। इनमें से पांच जने अभी तक सस्पेंड हो चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अन्य तीन पर भी जल्द ही कार्रवाई हो सकती है। इनमें एसडीएम की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। एसडीएम समेत कुल तीन जनों पर अभी कार्रवाई बाकी है।

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माल पकड़ में आया तो मामला खुला
जानकारी के अनुसार गुजरात में पुलिस कार्रवाई के दौरान तस्करों से यह शराब मिली थी। पुलिस ने इस तरह का एक मामला पकड़ा था, जिसमें तस्कर भाग चुके थे, लेकिन माल बरामद हो गया। इस पर अंकित वर्ष के आधार पर मामले की तह में जाने पर पता चला कि यह माल निस्तारण किया जा चुका है। तब पुलिस के हत्थे कैसे चढ़ा। ऐसे में पुलिस टीम को संदेह हुआ और मामला उजागर हो गया।

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गुजरात में इस तरह खुला यह पूरा मामला
बिछीवाड़ा थाना पुलिस की ओर से कोर्ट के आदेश पर 25 से 31 अगस्त के बीच अवैध शराब के निस्तारण की कार्रवाई की थी। कार्रवाई में वर्ष 2012 से 2020 के बीच 26 मुकदमों की साढ़े नौ हजार कर्टन से अधिक शराब को नष्ट करना बताया था। इसी बीच 2 सितम्बर को गुजरात पुलिस की स्टेट मॉनिटरिंग सेल ने महिसागर जिले के कोटम्बा थाना क्षेत्र में अवैध शराब से भरी एक कार जब्त की। कार सवार तस्कर मौके से भाग गए थे। पुलिस ने कार से वर्ष 2015 और 2016 की हरियाणा निर्मित सवा दो लाख रुपए की शराब जब्त की थी। डूंगरपुर पुलिस अधीक्षक को इस सम्बंध में शिकायत मिली थी कि गुजरात में जब्त की गई शराब बिछीवाड़ा थाने में निस्तारित माल का हिस्सा हो सकता है। इस पर पुलिस अधीक्षक ने टीम गठित कर विभागीय जांच शुरू करवाई।#dungarpur Many officers including District Excise Officer, Treasury Officer and ASP suspended

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