- प्राचीन कालका मंदिर के रास्ते पर नवरात्रि में भी रोशनी नहीं
- जहरीले जंतुओं के बीच अंधेरे में आवागमन की मजबूरी
सिरोही. लाखों रुपए खर्च कर पोल व लाइट तो लगवा दी, लेकिन रोशनी नहीं मिल रही। शहर के ऐतिहासिक कालकाजी मंदिर जाने वाले रास्ते पर नगर परिषद नवरात्रि में भी रोशनी नहीं कर पाई। लिहाजा लाखों के बजट से लगवाए पोल व लाइट नाकारा साबित हो रहे हैं। हाईवे से मंदिर तक का लगभग एक किमी रास्ता है, लेकिन श्रद्धालुओं को अंधेरे में ही गुजरना पड़ रहा है। तालाब एवं जंगल का रास्ता होने से जहरीले जंतुओं का भी हर समय डर बना हुआ है, लेकिन नगर परिषद को मानों इससे कोई सरोकार नहीं है।
पूरे रास्ते पर पसरा घुप्प अंधेरा
नगर परिषद ने इस मार्ग पर पोल व लाइट लगवा रखी है, लेकिन इनमें से कुछ लाइट्स ही सुचारू है। बड़ी हद हाईवे से कुछ फर्लांग का रास्ता ही रोशना रहता है। इससे आगे के अधिकतर पोल अंधेरे में गुम नजर आते हैं। लिहाजा पूरा रास्ते में घुप्प अंधेरा पसरा हुआ है।
मुश्किलों का सामना कर रहे श्रद्धालु
प्राचीन तालाब स्थित कालका मंदिर ऐतिहासिक बताया जा रहा है। आम दिनों में भी यहां श्रद्धालुओं का आवागमन रहता है। नवरात्रि में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रहती है। ऐसे में देर रात तक चहल-पहल दिखती है, लेकिन अंधेरे में श्रद्धालुओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पैदल आने वाले श्रद्धालु अंधेरे में काफी समस्या झेल रहे हैं।
उम्मीद ही थी पर रोशनी नहीं मिली
कुछ समय पहले इस रास्ते पर पोल लगवा कर काफी वाहवाही लूटी गई थी। लोगों को उम्मीद थी कि अब इस रास्ते पर अंधेरा नहीं रहेगा, लेकिन उम्मीदों पर तुषारापात हो गया। आम दिनों में तो क्या नवरात्रि के त्योहार पर ही यह रास्ता अंधेरे में गुम नजर आ रहा है। ऐसे में आम दिनों में यहां रोशनी की क्या व्यवस्था रहती होगी सोच ही सकते है।
कई दर्शनीय स्थलों के बावजूद अंधेरे में आवागमन
इस मार्ग पर कई दर्शनीय स्थल है। इसमें प्राचीन कालका मंदिर, दुर्गेश्वर महादेव मंदिर, जलदाय विभाग का प्लांट, अर्बुदा गोशाला, कालकाजी तालाब, राजलेश्वर महादेव मंदिर आदि शामिल है। इस मार्ग पर कई खेत कृषि कुएं व मोना बस्ती भी है। ऐसे में आम दिनों में भी रात्रि में लोगों का आवागमन रहता है। लिहाजा रोशनी के पुख्ता प्रबंध होने चाहिए, लेकिन पोल व लाइट्स लगाने के बावजूद अंधेरा पसरा रहता है।
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