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फाइनेंस कंपनी ने अवैध रूप से काटी राशि, भरना पड़ेगा जुर्माना

  • जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश, ए.यू. फाइनेंस पर सेवा दोष का आरोप

सिरोही. कार के लिए लोन लेने वाले उपभोक्ता के पास से ज्यादा राशि वसूलने को सेवा में दोष माना गया है। परिवादी ने ए.यू. फाइनेंस लिमिटेड से अपनी कार के लिए लोन लिया था, लेकिन कंपनी ने अवैध रूप से राशि वसूली। इस पर जिला उपभोक्ता आयोग ने सेवा दोष मानते हुए जुर्माना अदा करने के आदेश जारी किए हैं।

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अभियोजन पक्ष के अनुसार परिवादी राजेन्द्रसिंह आढ़ा ने कार खरीद के लिए ए.यू. फाईनेंस लिमिटेड से दो लाख रुपए का ऋण लिया था। इसका भुगतान कार कंपनी को सीधे ही करने का आश्वासन दिया था। अप्रार्थी ने ऋण अदायगी की कुल 23 किश्त प्रति माह किश्त 9900 रुपए की तय की थी। ऋण राशि दो लाख रुपए में से प्रथम किश्त के 9900 रुपए काट दिए तथा कार कंपनी को राशि 185047 रुपए ही अदा किए। अप्रार्थी ने अवैध रूप से 6053 रुपए की कटौती की गई। परिवादी ने अवैध रूप से काटी गई इस राशि के बारे शाखा से सम्पर्क किया तो बताया गया कि 1500 रुपए आरसी बुक की फोटोकॉपी जमा करवाते ही अदा कर दिए जाएंगे। इस पर परिवादी ने आरसी बुक की फोटोकॉपी अप्रार्थी को जमा करवा दी। तब अप्रार्थी ने 1500 रुपए व शेष राशि का शीघ्र हिसाब देने का आश्वासन दिया, लेकिन अवैध रूप से काटी गई राशि वापस नहीं मिली।

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इसे माना अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस
परिवादी ने कई बार स्टेटमेंट की देने की मांग अप्रार्थी से की। अप्रार्थी डाक से भेजने का आश्वासन देता रहा। परिवादी के बार-बार निवेदन करने पर भी न ही ऋण सम्बन्धित कोई हिसाब दिया। अप्रार्थी ने अंत में एनओसी के साथ अवैध कटौती का हिसाब अदा करने का आश्वासन दिया। अप्रार्थी की ओर से संतुष्ट जवाब नहीं मिलने पर परिवादी ने रजिस्टर्ड नोटिस भेजा। इस पर अप्रार्थी ने अपना प्रतिनिधि परिवादी के पास भेजा और बचत खाते का एक खाली चेक क्रॉस कर ले गया। शीघ्र भुगतान करने का आवश्वासन दिया, लेकिन इसके बाद भी भुगतान नहीं किया। इस प्रकार अप्रार्थी का यह कृत्य अनफेयर ट्रेड प्रेक्टिस की श्रेणी में आता है तथा उपभोक्ता को दी जाने वाली संतोषजनक सेवा में कमी कारित करने का है।

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आयोग ने लगाया जुर्माना, दिए आदेश
सुनवाई के बाद जिला उपभोक्ता आयोग ने माना कि अप्रार्थी ए.यू. फाइनेंस लिमिटेड सिरोही ने परिवादी राजेन्द्रसिंह आढ़ा को समय पर ऋण खाते का स्टेटमेंट व अवैध रूप से की गई कटौती की राशि का हिसाब नहीं बताने को सेवा में कमी कारित की है। अप्रार्थी की ओर से अवैध रूप से कटौती की गई राशि 6053 रुपए परिवाद दर्ज तारीख से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज से अदा करने तथा मानसिक, शारीरिक, आर्थिक एवं परिवाद व्यय के रूप एकमुश्त दस हजार रुपए अदा करने के आदेश दिए। मामले की सुनवाई जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अध्यक्ष मलारखान मंगलिया, सदस्य रोहित खत्री व उज्जवल सांखला ने की।#sirohi.Orders of the District Consumer Commission, allegation of service defect on A.U.finance

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