गत बार के चुनाव: यादों के झरोखे से
सिरोही. भाजपा के लिए गत बार जीत का जश्न कुछ ही समय में काफूर हो गया था। इसलिए इस बार काफी सावचेती रखी गई। गत बार जीत जाने के बाद भी दो पंचायत समितियां हाथ से गंवा चुके थे। बहुमत होने के बावजूद इन पंचायत समितियों में भाजपा अपना प्रधान नहीं बनवा पाई थी। रेवदर में पहली बार भाजपा पूर्ण बहुमत से आई थी, लेकिन बगावत के कारण प्रधान पद गंवा बैठे। कुछ इसी तरह की स्थिति सिरोही में हुई। यहां भी भाजपा के बागी ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर प्रधान पद कब्जाया।
- सिरोही पंचायत समिति
यहां कुल सीट 17 में से भाजपा को 14 मिली, कांग्रेस को दो व एक निर्दलीय के खाते में गई। ऐसे में भाजपा के पास स्पष्ट बहुमत था। जिसके तहत उसका प्रधान बनना भी तय था। भाजपा की ओर से प्रत्याशी प्रेमकंवर ने दो नामांकन भाजपा से भरे। प्रज्ञा कंवर ने भी दो नामांकन भरे, जिसमें एक भाजपा और दूसरा निर्दलीय के रूप में था। निर्दलीय दीपा राजगुरु ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा जमा कराया। भाजपा ने प्रेम कंवर को पार्टी का सिंबल दिया। इसके बाद निर्दलीय दीपा राजगुरु ने अपना नामांकन ले लिया, लेकिन प्रज्ञाकंवर भाजपा से बगावत करते हुए निर्दलीय के रूप में मैदान में रहीं। चुनाव परिणाम में निर्दलीय प्रज्ञाकंवर को 9 वोट मिले, जबकि भाजपा की प्रेम कंवर को 8 वोट मिले। इस पर प्रज्ञा कंवर एक वोट से विजयी घोषित की गई।
- रेवदर पंचायत समिति
यहां कुल 21 में से 15 सीटें भाजपा, 3 कांग्रेस और 3 निर्दलीय के खाते में गई थी। समिति गठन के बाद पहली बार यहां भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला था, लेकिन बगावत ने खुशियां खराब कर दी। प्रधान पद के लिए भाजपा के रणजीत कोली ने नामांकन दाखिल किया। कुछ देर बाद पूंजाराम ने एक भाजपा व एक निर्दलीय दो नामांकन दाखिल किए। पार्टी की ओर से रणजीत कोली को सिंबल मिला। पूंजाराम ने नाम वापसी के दौरान पर्चा वापस नहीं लिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। परिणाम में भाजपा प्रत्याशी रणजीत कोली को 8 वोट मिले, जबकि निर्दलीय पूंजाराम को 13 वोट मिले। पूंजाराम 5 वोटों से विजयी घोषित किए गए।