
- लाखेराव तालाब में खुली पाल से तीन दिनों में दो जनों की मौत
- तीन माह पहले कार्यादेश जारी हुआ पर सुरक्षा इंतजाम नहीं हुए
सिरोही. शहर के लाखेराव तालाब में सुरक्षा की बदइंतजामी में इन तीन दिनों में दो जनों की मौत हो गई, लेकिन तालाब की पाल पर सुरक्षा इंतजाम तो दूर सुरक्षा दीवार तक नहीं है। वह भी तब जबकि, लाखेराव तालाब के जीर्णोद्धार के लिए गत मई माह में ही कार्यादेश जारी हो चुका था। तीन माह बीतने के बाद भी न तो तालाब पर किसी तरह का कार्य किया गया और न सुरक्षा के प्रबंध हुए। सुरक्षा की बदइंतजामी के कारण दो जनों की मौत का जिम्मेदार अब नगर परिषद को माना जाएगा या ठेकेदार को, यह तो पता नहीं पर दो घरों के चिराग जरूर बुझ गए।
नींद में खलल पड़ा तो बेरिकेड लगाया
लगातार दूसरी मौत के बाद गुरुवार को नगर परिषद की नींद में खलल पड़ा। इस हादसे के बाद तालाब पर जाने वाले रास्ते पर बेरिकेडिंग कर दी गई, ताकि लोगों की आवाजाही बंद हो सके। सही भी है सुरक्षा प्रबंध करने में लाचार साबित हो रही नगर परिषद से लोग ज्यादा उम्मीद भी क्या कर सकते हैं।
ठेकेदार पर कोई कार्रवाई कब तक
तालाब के जीर्णोद्धार को लेकर तीन माह पहले कार्यादेश जारी हो चुका था। लिहाजा समय पर कार्य शुरू होता तो सुरक्षा दीवार भी बन गई होती। ऐसे में तालाब पर आने वाले लोग सुरक्षित रह सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। कार्य करने का हवाला देते हुए ठेकेदार ने यहां लगाई बांस की बल्लियां तक हटवा दी थी, लेकिन न तो सुरक्षा दीवार बनी और न सुरक्षा हो पाई। कार्यादेश जेब में लेकर बैठी एजेंसी या ठेकेदार के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो पाई यह कहना मुश्किल है।
जिम्मेदारों को नहीं जनता के जान की परवाह
नगर परिषद के जिम्मेदारों को जनता के जान की कोई परवाह नहीं है। शायद यही कारण है कि कार्यादेश जारी करने के बाद भी जिम्मेदारों ने तालाब की कोई सुध नहीं ली। नगर परिषद में सहायक अभियंता पंकजकुमार से जानकारी चाही गई पर उन्होंने फोन रिसीव ही नहीं किया। वहीं, अधीक्षण अभियंता विनय बोहरा ने बताया कि इस सम्बंध में कोई भी जानकारी आयुक्त ही दे सकते हैं।
यह रही स्थिति
- मई माह में कार्यादेश जारी, 15 मई से कार्य शुरू करना था
- एजेंसी को एक करोड़ 95 लाख करीब लागत का कार्यादेश
- ठेकेदार को सुरक्षा के लिए यहां कार्मिक लगाने चाहिए थे
- बगैर सुरक्षा इंतजामों के खुली पड़ी पाल हादसे का सबब बनी
मुकदमा दर्ज होना चाहिए…
कार्यादेश जारी होने के बाद भी ठेकेदार ने न तो तालाब की पाल पर सुरक्षा के प्रबंध किए और न अपने कार्मिक लगाए। नगर परिषद ने भी लापरवाही बरती है। राज्य सरकार को इन दोनों पर मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए एवं ठेकेदार से मुआवजा दिलाना चाहिए।
– संयम लोढ़ा, पूर्व विधायक, सिरोही