बाड़मेर. मातहतों के प्रति संवेदनशीलता के बहुत कम उदाहरण देखने को मिलते हैं ऐसे। अधिकारिक दौरे से लौटते वक्त एक सीनियर आइएएस अधिकारी के चालक की तबीयत बीच रास्ते अचानक बिगड़ जाती है। वो आइएएस चाहते तो अन्य व्यवस्था कर गंतव्य के लिए रवाना हो सकते थे, लेकिन संवेदनशीलता और मानवीयता दिखाते हुए खुद ने कार का स्टेयरिंग संभाला और अपने बीमार चालक को इलाज के लिए पहले पचपदरा और फिर बालोतरा के राजकीय अस्पताल लेकर पहुंचे। जब तक तबीयत में सुधार नहीं हुआ तब तक बेड के पास ही खड़े रहे और प्राथमिक उपचार के बाद खुद ही कार ड्राइव करते हुए जोधपुर के लिए रवाना हुए। वाक्या मंगलवार देर शाम का है। जोधपुर के संभागीय आयुक्त और जिले के प्रभारी सचिव डॉ राजेश शर्मा बाड़मेर जिले की अधिकारिक विजिट पर थे।
जिला मुख्यालय पर समीक्षा बैठक के बाद शाम को वे तेल उत्पादन क्षेत्र मंगला टर्मिनल पहुंचे और अधिकारियों की बैठक ली। यहां से फारिग होकर वे जोधपुर के लिए रवाना हुए। पचपदरा से तकरीबन 12 किलोमीटर पहले आकडली गांव के समीप अचानक सरकारी कार के चालक महेंद्र सिंह की तबीयत बिगड़ गई। कमिश्नर डॉ राजेश शर्मा ने कार रुकवाकर चालक को संभाला। चालक महेंद्र सिंह कार ड्राइव करने की स्थिति में नहीं था। ऐसे में कमिश्नर डॉ शर्मा ने बीमार चालक को पिछली सीट पर लिटाया और खुद स्टेयरिंग संभालकर नजदीकी अस्पताल के लिए रवाना हो गए। इस बात की जानकारी होने पर बालोतरा उपखण्ड अधिकारी डॉ नरेश सोनी व अन्य अधिकारी भी पचपदरा के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए। यहां पर प्रभारी चिकित्सक डॉ खुशवंत खत्री ने बीमार चालक महेंद्र सिंह को अटेंड किया। नाजुक स्थिति को देखते हुए बालोतरा के राजकीय नाहटा अस्पताल रेफर किया। यहां पर चिकित्सकों ने आवश्यक प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें जोधपुर के लिए रेफर कर दिया।
बेड के पास ही खड़े रहे
खुद सरकारी कार ड्राइव कर बीमार चालक को दो अस्पतालों में लेकर जाना और इलाज के दौरान बेड के पास खड़े रहे संभागीय आयुक्त की मातहतों के लिए संवेदनशीलता को देखकर यहां मौजूद तमाम अधिकारी व कर्मचारी कमिश्नर की उदारता व सरलता के लिए कायल नजर आए। तकरीबन डेढ़ घंटे तक कमिश्नर कुर्सी पर बैठने की बजाय बेड के पास खड़े रहे।
कंटेंट सहयोग: डीडी