- आदिवासी इलाकों में बेमानी साबित हो रही बड़ी-बड़ी सुविधाएं देने की बातें
सिरोही. आदिवासियों को सुविधाएं देने की बड़ी-बड़ी बातें की जा रही है, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आता। जिले में अभी पंचायतराज चुनाव भी चल रहे हैं। इसके तहत आबूरोड ब्लॉक में पांच दिन पहले ही मतदान हुआ है। इस दौरान नेताओं ने आदिवासियों के घर तक पहुंच दिखाई। वोट का आग्रह करने के लिए राजनीतिक दलों के पदाधिकारी जिन रास्तों से आदिवासी फलियों तक पहुंचे वहां इतने वर्षों में आज तक न तो सड़क बनी और न सुविधा मिली। आदिवासी आज भी चिकित्सा के लिए दुर्गम रास्तों को तय करते हुए शहर तक पहुंचने के लिए मजबूर है। इन आदिवासी इलाकों (aburoad tribal areas) में सड़क की जगह आज भी पगडंडी है तथा एम्बुलेंस की जगह दो युवकों के कंधों पर झोली और उस झोली में लेटा बीमार।
झोली में डाल निकल पड़े
आबूरोड में सुरपगला पंचायत के डेरी गांव की दुर्गम इंडीफली में सोमवार को ऐसा ही नजारा दिखा। इंडीफली की लिबरी पत्नी भूताराम गरासिया गंभीर रूप से बीमार है। उपचार के लिए उसे शहर ले जाना था, लेकिन यहां सड़क और एम्बुलेंस नहीं है। इस पर उसके परिजन बाबू पुत्र अंबाराम गरासिया व धरमा पुत्र चमनाराम गरासिया एवं अन्य लोग उसे झोली में डालकर आबूरोड के लिए निकल पड़े।
नेता पलटकर नहीं देखते
आदिवासियों ने बताया कि यहां इसी तरह की स्थिति रहती है। यहां कभी सड़क नहीं बनी। वोट के लिए नेता आते जरूर है, वादे भी करते हैं, लेकिन इसके बाद कभी पलटकर नहीं देखते। इस बार भी पंचायत समिति व जिला परिषद सदस्य के चुनाव को लेकर नेता उनकी फलियों तक आए थे, तब यह पीड़ा उनसे साझा की थी। लेकिन, यहां सड़क, चिकित्सा एवं शिक्षा जैसी सुविधाएं कब मयस्सर होगी कहना मुश्किल है।#Ambulances do not run for the sick in tribal areas, people run with bags on their shoulders
नोट: वीडियो में सुनिए परेशान हाल आदिवासियों की आपसी बातचीत