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भाखर का मार्ग बंद होने से आदिवासी आक्रोशित, चौराहे पर धरना-प्रदर्शन

  • समस्याओं का समाधान नहीं होने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी, तय की रणनीति

सिरोही. आबूरोड के समीप आदिवासी भाखर क्षेत्र में आवागमन का मार्ग बंद होने से लोग परेशानी भुगत रहे हैं। समस्याओं से त्रस्त आदिवासियों ने चौराहे पर धरना-प्रदर्शन करते हुए रोष जताया। साथ ही समाधान नहीं होने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी तथा बैठक में रणनीति तय की।

ग्रामीणों ने बताया कि देलदर-निचलागढ़ सड़क मार्ग बंद होने से समस्या बढ़ रही है। अस्पताल, बैंक, सहकारी समिति का गोदाम, नवसृजित उप तहसील का मार्ग पूरी तरह बंद हो चुका है। ऐसे में भाखर क्षेत्र के गंभीर रोगियों, प्रसूताओं व हादसों में घायलों को अस्पताल लाने-ले जाने में दिक्कत हो रही है। वृद्धावस्था पेंशन, खाताधारकों, किसानों को खाद-बीज आदि समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इस पर भाखर क्षेत्र के निचलागढ़ चौराहे पर आदिवासियों ने विरोध जताया। सुविधाएं बहाल नहीं करने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी गई। इस अवसर पर ग्रामदानी अध्यक्ष भूताराम, पूर्व उप सरपंच मेकाराम, नरसाराम, भादरवा फली के वार्ड पंच अमीयाराम, मंसाराम, चतराराम, सामीराराम सोलंकी, सूरदास महाराज, जीवाराम, बदाराम, मादुराम, लसमाराम, रिजमाराम, देवाराम, बदाराम, हानाराम, केवलाराम, बाबूभाई, लालाराम, मकनाराम, मंसाराम, सिंगाराम तंवर, रमेश तंवर, गेनाराम तंवर, सचिन तंवर, भरत कुमार, जगदीश, इबका बाई, जमना बाई, पूर्व वार्ड पंच बदी बाई समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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बंद कर दिया एक मात्र मार्ग
उल्लेखनीय है कि गत 15 नवंबर को बत्तीसा नाला बांध से गुजर रही डूब क्षेत्र की एकमात्र भाखर क्षेत्र की सड़क को बंद कर दिया गया। देलदर-निचलागढ़ मार्ग पर आवागमन प्रतिबंधित होने के चलते आदिवासी भाखर क्षेत्र के 24 गांवों का सीधा संपर्क पूर्णतया कट गया है।

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इसलिए लोगों की समस्या बढ़ रही

इसके बदले सरकार ने उपलागढ़-कुई सागणा-हनुमान टेकरी-आबूरोड वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की है। जिससे अधिकांश गांवों की लंबी दूरी तय करने में अधिक समय लग रहा है। उपला टांकिया, निचला टांकिया, जायदरा, दोयतरा, निचलाखेजड़ा, उपलाखेजड़ा, पाबा, रणोरा, भंमरिया, उपली बोर, बूजा आदि गांवों के लिए लंबी दूरी तय करने में अधिक समय लगता है। उपलागढ़ होते हुए आबूरोड हाईवे जाने के बाद देलदर रूट की दूसरी टैक्सियों में बैठकर देलदर के बैंक, अस्पताल, सहकारी समिति का गोदाम, उप तहसील जाने पर विवश होना पड़ रहा है।

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