
- उपभोक्ता मामले विभाग ने जारी किए दिशा-निर्देश
- एक से तीन वर्ष के लिए रूक सकता है प्रचार भी
सिरोही. भ्रामक विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत नियमों के उल्लंघन पर पहली बार दस लाख रुपए व दूसरी बार में 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं, इस तरह के विज्ञापनों के प्रचारक का प्रचार भी एक से तीन वर्ष की अवधि के लिए रूक सकता है। केन्द्र सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने इस तरह के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
इसके तहत केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने और उपभोक्ताओं की रक्षा के उदद्ेश्य से भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों के लिए दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हैं। बताया गया है कि उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों से सावधान रहते हुए खरीदारी करनी चाहिए। साथ ही किसी भी प्रकार की ठगी होने पर जिला उपभोक्ता आयोग व केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण में प्रमाणों के साथ शिकायत करनी चाहिए।
उपभोक्ताओं को मूर्ख नहीं बनाया सकेगा
सिरोही जिला उपभोक्ता आयोग के सदस्य रोहित खत्री ने बताया कि भ्रामक विज्ञापनों से पीडि़त उपभोक्ताओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार से गठित केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उपभोक्ता हितों के संरक्षण को लेकर भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने और ऐसे विज्ञापनों से शोषित या प्रभावित होने वाले उपभोक्ताओं की रक्षा हो सकेगी। इन दिशा-निर्देशों से उपभोक्ताओं को निराधार दावों, अतिरंजित वादों, गलत सूचना एवं झूठे वादों के साथ मूर्ख नहीं बनाया सकेगा। वे बताते हैं कि इस तरह के विज्ञापन उपभोक्ताओं के विभिन्न अधिकारों जैसे सूचित होने का अधिकारए चुनने का अधिकार और संभावित असुरक्षित उत्पादों व सेवाओं के खिलाफ सुरक्षा के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
गंभीर प्रभाव पर दिया है विशेष ध्यान
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता कानून में पूर्व में ही भ्रामक विज्ञापन करने पर कानूनी कार्यवाही का अधिकार दिया जा चुका है तथा प्राधिकरण के इस कदम से उपभोक्ताओं के अधिकार और मजबूत हो सकेंगे। नए दिशा-निर्देशों में बच्चों की संवेदनशीलता और कोमलता व युवा मन पर पडऩे वाले गंभीर प्रभाव पर विशेष ध्यान दिया गया है। ये दिशा-निर्देश विज्ञापन को उत्पाद या सेवा की विशेषताओं को इस तरह से बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से रोकते है। बच्चो को लक्षित करने वाले विज्ञापन, जिसे किसी भी कानून के तहत ऐसे विज्ञापन के लिए स्वास्थ्य चेतावनी की आवश्यकता हो या बच्चे नहीं खरीद कर सकते है ऐसे उत्पादों के लिए खेल, संगीत या सिनेमा के क्षेत्र से किसी हस्ती को नहीं दिखाया जा सकता है।
अधिक पारदर्शिता और स्पष्टता लाने का उद्देश्य
इसी तरह सदस्य उज्जवल सांखला ने बताया कि उपभोक्ता के दृष्टिकोण से डिस्क्लेमर विज्ञापनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यह एक तरह से कम्पनी की जिम्मेदारी को सीमित कर देते है। इसे देखते हुए इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य विज्ञापनों को प्रकाशित करने के तरीके में अधिक पारदर्शिता और स्पष्टता लाकर उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है। इससे उपभोक्ता झूठी कहानी और अतिश्योक्ति की जगह तथ्यों के आधार पर उचित निर्णय लेने में सक्षम हो सके।
इस तरह से जारी किए दिशा-निर्देश
सदस्यों ने बताया कि नए दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने पर प्राधिकरण किसी भी भ्रामक विज्ञापन के लिए निर्माता, विज्ञापनदाता व प्रचारक पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। दुबारा उल्लंघन करने पर जुर्माना राशि 50 लाख रुपए तक हो सकती है। प्राधिकरण एक भ्रामक विज्ञापन के प्रचारक को एक वर्ष तक के लिए कोई भी प्रचार करने से रोक सकता है इसके बाद भी उल्लंघन के लिए अवधि तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।#Ban on misleading advertisements, fine of 50 lakhs for violation – guidelines issued by the Department of Consumer Affairs