- हस्तक्षेप या निर्माण नहीं करने की स्थायी निषेधाज्ञा भी जारी
- मंदिर की भूमि का आठ वर्ष पहले बेचान से हुआ था विवाद
सिरोही. अपर जिला न्यायालय ने राम-लक्ष्मण मंदिर (महामंदिर) भूमि के एक हिस्से पर दिए पट्टे को शून्य घोषित करने के आदेश दिए हैं। सिरोही में पैलेस रोड स्थित इस मंदिर की भूमि पर कुछ साल पहले लीज डीड बनाई गई थी। इसके बाद हिंदूवादी संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किया था। न्यायालय ने इस मामले में गुरुवार को फैसला सुनाया है। इसके तहत वर्ष-२०१७ में जारी किए पट्टा विलेख को शून्य घोषित किया है। साथ ही इस पट्टा विलेख के आधार पर महामंदिर की संपति में किसी प्रकार के हस्तक्षेप, कब्जा, रद्दोबदल या निर्माण नहीं करने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा भी जारी की है।
देवस्थान विभाग ने प्रस्तुत किया था वाद
अभियोजन पक्ष के अनुसार सहायक आयुक्त देवस्थान विभाग की ओर से निरीक्षक दलपतसिंह ने इस सम्बंध में न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया था। इस पर न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए पट्टा विलेख को शून्य घोषित कर स्थायी निषेधाज्ञा जारी की है। देवस्थान विभाग ने महंत सीतारामदास चेला महंत जयरामदास, विक्रमकुमार पुत्र धनराज व नटवरलाल पुत्र कुबेरदास के विरुद्ध वाद प्रस्तुत किया था।
रामझरोखा मंदिर की भूमि पर बनाए आठ पट्टे
उल्लेखनीय है कि महामंदिर से जुड़े रामझरोखा मंदिर की भूमि पर बनाए गए पट्टों को लेकर भी मामला गरमाया हुआ है। बताया जा रहा है कि चार माह पहले इस भूमि पर पट्टे बनाए गए हैं, जिसे लेकर कांग्रेस ने धरना-प्रदर्शन किया है। आरोप है कि करोड़ों का लेन-देन कर इस भूमि पर आठ लोगों ने पट्टे बनाए है। मामले में राज्यमंत्री व उनके पुत्र पर भी लेन-देन के आरोप लगाए गए है।



