मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए नवार्ण मंत्र के साथ करें घट स्थापना
घट स्थापना में ध्यान रखने योग्य कुछ खास बातें
सिरोही. नवरात्र के दौरान घट स्थापना का विशेष महात्म्य है। इस दिन घट या कलश स्थापना के साथ ही देवी मां की साधना शुरू होती है। घट स्थापना में साधकों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसके लिए कुछ खास बातों पर ध्यान दिया जाए तो मां की विशेष कृपा बनी रहती है।
ज्योतिषी बताते हैं कि कलश स्थापना के लिए सबसे पहले घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा के हिस्से की अच्छे से साफ. सफाई करनी चाहिए। वहां पर जल छिड़ककर साफ मिट्टी या बालू बिछानी चाहिए। फिर उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए। उसके ऊपर पुन: साफ मिट्टी या बालू की परत बिछानी चाहिए और उस पर जल का छिड़काव करना चाहिए। अब उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए। कलश को अच्छे से साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए। उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए। सबसे अहम यह है कि कलश स्थापना के दौरान सारी प्रक्रिया में ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे।Ó यह नवार्ण मंत्र अवश्य पढऩा चाहिए।
नदियों का आह्वान करना चाहिए
अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल भी जरूर मिलाना चाहिए। इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर इस मंत्र को बोलना चाहिए।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥
ये मंत्र पढ़ें और अगर मंत्र न बोल पाएं तो या ध्यान न रहे तो बिना मंत्र के ही गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिन्धु और कावेरी पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए उन नदियों के जल का आह्वान उस कलश में करना चाहिए। ऐसा भाव करना चाहिए कि सभी नदियों का जल उस कलश में आ जाए। पवित्र नदियों के साथ ही वरूण देवता का भी आह्वान करना चाहिए, ताकि वो उस कलश में अपना स्थान ग्रहण कर लें।
कलश पर रखे नारियल
इस प्रकार आह्वान आदि के बाद कलश के मुख पर कलावा बांधे और एक मिट्टी की कटोरी से कलश को ढक दीजिए। अब ऊपर ढकी गई उस कटोरी में जौ भरिए। अगर जौ न हो तो चावल भी भर सकते हैं। इसके बाद एक जटा वाला नारियल लेकर उसे लाल कपड़े में लपेटकर ऊपर कलावे से बांध दें। फिर उस बंधे हुए नारियल को जौ या चावल से भरी हुई कटोरी के ऊपर स्थापित कर दीजिए।