- बाहरी एजेंसियों ने पकड़ी नशे की फैक्ट्रियां तो खुला राज
- माल सप्लाई तक की पूरी चेन पर स्थानीय एजेंसियां खाली हाथ
सिरोही. अपणायत और मान-मनुहार के लिए विख्यात राजस्थान अब मादक पदार्थों (एमडी) का हब बनता जा रहा है। इसे पुलिस, आबकारी और अन्य जांच एजेंसियों की नाकामी कहे या कुछ और पर हकीकत यही है। राजस्थान में मादक पदार्थ तैयार करने की फैक्ट्रियां पनप रही है। सिरोही और जोधपुर के बाद अब बाड़मेर के धोरों में भी मादक पदार्थों की फैक्ट्री मिल चुकी है। फैक्ट्री लगाने से लेकर कच्चा माल यहां तक पहुंचने और नशे की तैयार खेप को बाहर तक सप्लाई करने की पूरी चेन बनी हुई है। इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर जांच एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लग रही है।
पैदल भी मुश्किल से पहुंचते हैं वहां मिली फैक्ट्री
बाड़मेर में कोटडिय़ों का तला से करीब तीन किमी दूर धोरों के बीच एक जगह ड्रग्स बनाने की फैक्ट्री मिली है। यहां एमडी (ड्रग्स) बनाई जा रही थी। मुम्बई में पकड़े गए युवक से हुई पूछताछ के बाद इस फैक्ट्री की जानकारी मिली। इसके बाद डीआरआई की टीम ने यहां छापेमारी की। ढाणी रामसर थाना क्षेत्र स्थित खारा राठौड़ान से आगे है, जहां वाहन तो दूर पैदल भी मुश्किल से पहुंच सकते हैं।
इनकी नाक के नीचे पनप रही अवैध फैक्ट्रियां
अपने मुखबिर तंत्र की मजबूती का दावा करने वाली पुलिस और आबकारी महकमा आखिर इन मामलों में कहां मात खा रहे हैं। अपने क्षेत्र में मादक पदार्थों की पूरी फैक्ट्री संचालित होने के बावजूद इनको भनक तक नहीं लग रही। क्या कारण है कि इनकी नाक के नीचे ही अवैध रूप पूरी मशीनरी लग जाती है एवं नशे की खेप तैयार होकर सप्लाई तक हो जाती है और इनको भनक तक नहीं लग पाती।
बाहरी एजेंसियों को मिल रहा इनपुट
इसे स्थानीय पुलिस व आबकारी की नाकामी ही कहा जाएगा कि एमडी (ड्रग्स) की ये सभी फैक्ट्रियां बाहरी एजेंसियों के इनपुट पर ही बंद (सीज) हुई है। डीआरआई, नारकॉटिक्स, एटीएस और क्राइम ब्रांच को मिली सूचना के आधार पर सिरोही, जोधपुर व बाड़मेर जिलों में छापामारी की गई। इन फैक्ट्रियों को लेकर स्थानीय स्तर पर पुलिस या आबकारी को कोई जानकारी तक नहीं थी।
गैर जिम्मेदारी पर कार्रवाई से क्यों कतरा रहे
बीट प्रणाली के जरिए अपने इलाके में गहरे तक जानकारी रखने वाले पुलिस अधिकारियों के पास आखिर इतने बड़े नेटवर्क की सूचना क्यों नहीं थी। क्या कारण रहे कि बाहरी एजेंसियों को आकर सिरोही, जोधपुर व बाड़मेर में दबिश देनी पड़ रही है। महज कुछ ग्राम स्मैक व एमडी ड्रग्स की पुडियां जब्त कर वाहवाही लूटने वाली पुलिस यदि बेपरवाही बरत रही है तो जिम्मेदारी तय क्यों नहीं हो रही। बीट और थाना स्तर से यदि गैरजिम्मेदारी बरती जा रही है तो इन पर ठोस कार्रवाई करने में अधिकारी क्यों कतरा रहे हैं। इन सवालों के जवाब अनसुलझे ही है और सुलझ जाए तो ड्रग माफिया की कमर टूट सकती है।
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