- पिता को जिंदा देख खुशियों से सराबोर हो गया परिवार
- सेलम से सिरोही आए लापता बुजुर्ग को परिजनों से मिलवाया
सिरोही. लम्बे समय से अपने पिता को तलाश कर रहे पुत्र ने जब अपने पिता को वीडियो कॉलिंग के जरिए देखा तो आंखें छलक आई। सेलम (तमिलनाडु) से परिवार के लोग बुजुर्ग को जब लेने आए तो वे कर्मचारियों के प्रति आभार जताते नजर आए। सिरोही से कागजी प्रक्रिया पूरी कर वे बुजुर्ग मणि को अपने साथ ले गए। बुजुर्ग पुलावरी गांव का रहने वाला है। सिरोही में राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के अधिकारी व कर्मचारियों ने अपने प्रयास से इस बुजुर्ग को परिवार से मिलवाया। करीब चार माह से यहां लावारिस घूम रहे इस बुजुर्ग का इन्होंने नाम-पता ढूंढा तथा सैकड़ों किमी दूर सेलम में बैठे परिजनों से मिलवाया। शुक्रवार को बुजुर्ग को उसका बेटा विनोद लेने आया। चेन्नई में मयलापुर निवासी उनके मित्र शिवानंद व उसके मौसा भी साथ रहे।#The missing elderly who came from Selam to Sirohi were introduced to their relatives
प्रणाम किया तो भूख का इशारा मिला, तब शुरू की तलाश
अधिकारी बताते हैं कि सिरोही में राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम कार्यालय के बाहर कुछ दिन पहले एक साधु वेशधारी बुजुर्ग घूम रहा था। कार्यालय आ रहे सहायक अभियंता केएल रावल ने गेट के पास खड़े इस बुजुर्ग को प्रणाम किया, लेकिन बुजुर्ग को कुछ समझ नहीं आया। उसका हाथ भूख लगी होने का इशारा करते हुए मुंह की ओर गया। इस पर एईएन उसे पास के एक ढाबे पर ले गए तथा नाश्ता करवाया। भाषा समझ में नहीं आ रही थी तो एक कर्मचारी अर्जुन को बुलाया, जो बुजुर्ग की भाषा समझ रहा था। बताया कि यह तमिल बोल रहा है। पता चला कि यह चार माह पहले घर से लापता हो चुका है, तभी से भटक रहा है।
एकबारगी तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ
बुजुर्ग के परिजनों ने बताया कि इनके घर से निकल जाने के बाद से काफी तलाश की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। पुलिस में भी गुमशुदगी दर्ज करवाई गई। घरवालों ने तो इनके मिलने की आस ही छोड़ दी थी। सिरोही से एक वीडियो कॉल आई और उसमें पिता को देखा तो उन लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ कि पिता इस तरह मिल जाएंगे। इसके बाद वे लोग तत्काल ही सिरोही के लिए रवाना हुए। भाषा की समस्या होने से वे लोग पारिवारिक मित्र शिवानंद को साथ लेकर आए, जो तमिल व हिंदी जानते हैं।
सदमे की हालत में घर से निकल गया
बताया जा रहा है कि बुजुर्ग के दो बेटे थे, जिसमें से एक की कुछ महीने पहले मृत्यु हो चुकी है। इससे उसका दिमागी संतुलन बिगड़ गया व सदमे की हालत में वह साइकिल लेकर घर से निकल गया। इसके बाद से वह लापता था। इस दौरान उसकी साइकिल भी कहीं रह गई। आगे से आगे वह सिरोही तक कैसे और कब पहुंचा किसी को जानकारी नहीं। भाषा की समस्या होने से वह किसी का सहयोग भी नहीं ले पा रहा था।
बुजुर्ग को घर पहुंचाने में दिया पूरा सहयोग
बुजुर्ग को घर तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया में सहायक अभियंता केएल रावल की अहम भूमिका रही। वे बताते हैं कि विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों का इस मामले में पूरा सहयोग रहा। परिजनों के आने तक बुजुर्ग की पूरी देखभाल रखी गई। उसे अर्जुनलाल के साथ रखा गया, ताकि बुजुर्ग को अकेलापन महसूस न हो। परिजनों के आने पर उसे घर के लिए विदा किया गया। इस दौरान कर्मचारियों की आंखों से आंसू छलक आए। बताया कि एक लापता बुजुर्ग को वापस अपना घर मिल गया, यह खुशी की बात रही। इस तरह के कार्य निसंदेह प्रेरणादायी है। अधिशासी अभियंता डीके जैन, सहायक अभियंता केएल रावल, सहायक अभियंता अभिताश डागा, कर्मचारी अर्जुनलाल, अशोक रावल समेत अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
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