
- केवल कृष्ण मृग के चित्र, अन्य कोई वन्य जीव दर्शाया ही नहीं
- प्रदेश के सबसे बड़े घास बीड़ जोड़ को नहीं मिल रहा प्रचार
सिरोही. प्रदेश के सबसे बड़े घास बीड़ वाड़ा खेड़ा जोड़ (vada Kheda) को जिम्मेदारों की उपेक्षा का दंश भुगतना पड़ रहा है। दो वर्ष पहले संरक्षित घोषित किए जाने के बावजूद इसके प्रचार में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। यहां तक कि वन विभाग के अधिकारी भी इसके प्रति संजीदा नहीं है। गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित जिलास्तरीय समारोह में प्रदर्शित झांकी के दौरान कमोबेश ऐसा ही नजर आया। वन विभाग ने वाड़ा खेड़ा को प्रदर्शित तो किया, लेकिन घास बीड़ के बजाय एलोवेरा दिखकर इतिश्री कर ली। वहीं, जोड़ में दिखने वाले कृष्ण मृग के चित्र ही दिखाए गए, अन्य वन्य जीवों को दर्शाया तक नहीं।# conservation reserve and forest range in sirohi rajasthan
इसलिए लोग आकर्षित नहीं हो रहे
जिन कार्यक्रमों के जरिए वाड़ा खेड़ा जोड़ और वन्य क्षेत्र का प्रचार हो सकता है उनमें विभागीय स्तर पर कोई ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा। औपचारिकता निभाने से वाड़ा खेड़ा को समुचित प्रचार तक नहीं मिल रहा। लिहाजा प्रदेश का सबसे बड़ा घास बीड़ होने के बावजूद यह लोगों को आकर्षित नहीं कर पा रहा। #wada kheda
बगैर प्रचार पर्यटन की बात भी बेमानी
वाड़ा खेड़ा जोड़ में कृष्ण मृग (ब्लैक बग) का स्वच्छंद विचरण बना हुआ है। मातरमाता वन क्षेत्र से जुड़ाव के कारण यहां भालू, पैंथर आदि वन्य जीवों का भी अक्सर मूवमेंट रहता है। चीतल, खरगोश, तीतर, मोर, नील गाय समेत कई प्रजातियों के पक्षी एवं वन्य जीवों देखे जा सकते हैं। पर्यटन के लिहाज से भी प्रयास किया जा सकता है, लेकिन बगैर प्रचार पर्यटन की बात भी बेमानी ही लगती है।
यह है स्थिति
वर्ष-2022 में वाड़ा खेड़ा को संरक्षित रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया था। यह प्रदेश का बीसवां संरक्षित रिजर्व क्षेत्र हैं। इसका दायरा 43.32 वर्ग किमी तक फैला हुआ है।
एक हिस्सा बालदा में बना
सिरोही जिला मुख्यालय से सटे हुए वाड़ा खेड़ा जोड़ का कुछ हिस्सा फोरलेन निर्माण के समय कट गया था। इसके बदले में बालदा के पास वन विभाग को लगभग 32 बीघा भूमि आवंटित की गई, ताकि वन क्षेत्र विकसित किया जा सके।