वन विभाग से हड़पी नौ बीघा भूमि के संपरिवर्तन की तैयारी

- मामले का जल्द से जल्द पटाक्षेप करने की नई प्लानिंग
- वन विभाग के अधिकारियों की चुप्पी समझ से परे
सिरोही. आबूरोड के समीप आमथला में वन विभाग अपनी बेशकीमती भूमि को शायद यूं ही छोडऩे को आमादा है। यही कारण है कि भू माफिया ने इस भूमि का संपरिवर्तन कराने की तैयारी कर ली है और महकमा अब भी मूकदर्शक ही बना हुआ है। यहां खसरा संख्या-111 में वन विभाग की करीब नौ बीघा भूमि ज्यादा आवंटित होने का मामला सामने आया है। आवंटी से भूमि खरीदने वालों ने मौके पर पूरी भूमि कब्जा ली तथा अब इसका संपरिवर्तन कराने की तैयारी कर ली है। बताया जा रहा है कि वन विभाग की नौ बीघा भूमि हड़पने के मामले का जल्द से जल्द पटाक्षेप करने के लिहाज से भू-माफिया नई प्लानिंग के साथ कार्य कर रहे हैं। लेकिन, वन विभाग के अधिकारियों की चुप्पी समझ से परे हैं।
एमओयू के कारण तीव्रता से आगे बढ़ रही फाइल
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के राइजिंग राजस्थान के तहत एमओयू कराए जाने से यह फाइल तीव्रता से आगे बढ़ रही है। वहीं, संपरिवर्तन कार्यवाही के लिए स्थानीय स्तर पर राजस्व विभाग से रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है, लेकिन शायद पूर्व के नाप-जोख और वर्तमान की जरीब के नाप-जोख को लेकर जो गड़बड़ी हुई है उसे कहीं दर्शाया नहीं है।
सडक़ें बनी पर नाप-जोख कम नहीं हुआ
बताया जा रहा है कि तत्कालीन समय की 13.15 बीघा भूमि में से बनास नदी के पुलिया की सडक़ का निर्माण व कासिंद्रा सडक़ में गई भूमि का नाप भी कम करना था। इसके बावजूद 22 बीघा भूमि की पूरी रिपोर्ट आगे भेजी गई है। इस तरह से भूमाफिया को पूरा फायदा दिए जाने का अंदेशा है।
कुछ इस तरह हड़प ली नौ बीघा वन भूमि
उल्लेखनीय है कि वर्ष-1966 में सोमाराम पुत्र कालाराम को आमथला के खसरा संख्या-111 में 22 बीघा भूमि आवंटित हुई थी। नियमानुसार उसने कब्जा प्राप्त कर लिया था, लेकिन इसके बाद हुए सेटलमेंट अभियान के दौरान वर्ष-1972-73 में यह आवंटित भूमि सहवन से वन विभाग के नाम चढ़ गई। आवंटित परिवार ने वर्ष-2013 में माउंट आबू एसडीएम के समक्ष अपने हक में नामांतरण खोलने का दावा प्रस्तुत किया। निर्णय में आवंटी के पक्ष में नामांतरण खोलने के आदेश पारित हुए। उपखंड अधिकारी न्यायालय से पारित हुए आदेश के बाद आवंटी के नाम से 22 बीघा नामांतरण खोल दिया गया। इसके बाद नई जरीब के अनुसार नाप-जोख करते हुए आवंटी को भूमि आवंटित कर दी गई। वर्ष-1966 में आवंटित 22 बीघा भूमि का नाप नई जरीब के अनुसार 13.15 बीघा ही बनता है। ऐसे में आवंटी केवल 13.15 बीघा भूमि ही अपने नाम चढ़वाने का अधिकारी है, लेकिन नई जरीब के अनुसार पूरा 22 बीघा भूमि आवंटित हो गई, लेकिन मूल भूमि से करीब नौ बीघा ज्यादा है। हालांकि आवंटन के दौरान तहसीलदार आबूरोड ने इस आश्य का एक आवेदन भी प्रस्तुत किया था, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।