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कब रूकेगा सेई से व्यर्थ जा रहा पानी, सुस्त चल रहा प्रोजेक्ट

  • सालभर पहले पूरा होना था और 60 फीसदी ही हो पाया है प्रोजेक्ट
  • सेई के पानी को जवाई में परिवर्तित करने की योजना पर सरकार की उदासीनता

सिरोही. सेई बांध से व्यर्थ बहकर गुजरात जा रहे पानी को जवाई में डाइवर्ट करने की योजना अभी फलीभूत नहीं हो पाई है। जो प्रोजेक्ट सालभर पहले पूरा होना था वह अभी साठ फीसदी ही हो पाया है। ऐसे में जवाई तक पहुंचने वाला पानी आज भी व्यर्थ बह रहा है। सेई बांध से ओवरफ्लो होकर व्यर्थ बह रहे पानी को जवाई बांध में परिवर्तित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर सुस्ती को देखते हुए पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने नाराजगी जताई है। उन्होंने रविवार को सेई बांध का दौरा कर योजना पर हो रहे कार्य का अवलोकन किया। साथ ही राज्य सरकार पर कार्य की धीमी गति को लेकर उदासीनता का आरोप लगाया। पूर्व विधायक ने मुख्यमंत्री से इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा करवाए जाने का आग्रह किया है। सुमेरपुर से पूर्व प्रधान हरीशंकर मेवाड़ा, जलसंसाधन विभाग की सहायक अभियंता आकांक्षा आदि मौजूद रहे।

जवाई में पहुंचना था दोगुना से ज्यादा पानी
सेई बांध (बेकरिया-उदयपुर) वर्ष 1970 से 1978 के बीच बना था। वहीं, वर्ष 2015 से 2020 के बीच सेई बांध से करीब 3000 एमसीएफटी पानी व्यर्थ बह गया। इस नुकसान को रोकने के लिए वर्ष 2020 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने करीब सौ करोड़ की योजना स्वीकृत की थी। इसके तहत सेई बांध की पौने तीन मीटर गहरी सुरंग को चार मीटर तक गहरा करना था, ताकि व्यर्थ जा रहे पानी को जवाई बांध में लाया जा सके। इसके पूरा होने पर जवाई बांध में पहुंचने वाले पानी की मात्रा 34 एमसीएफटी से बढक़र 75 एमसीएफटी तक होनी थी।

कार्य पूरा होता तो भरपूर पानी मिलता
पूर्व विधायक ने बताया के यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट 15 सितंबर 2024 तक पूर्ण होना चाहिए था, लेकिन अब तक महज 60 फीसदी ही कार्य पूरा हो पाया है। आरोप लगाया कि यदि समय पर कार्य पूरा हो जाता तो इस वर्ष जवाई व सेई बांध में भरपूर पानी था, जिसका अधिकतम उपयोग किया जा सकता था। वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो लग रहा है कि कार्य 2026 से पहले शायद ही पूरा हो सके।

सुरंग क्षमता 305 से 855 क्यूसेक बढ़ाने की योजना
उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील में बना सेई बांध जवाई बांध का फीडर बांध है। इससे पेयजल व सिंचाई की आवश्यकताएं पूरी होती हैं। इस बांध की मूल लंबाई 951.20 मीटर व ऊंचाई 8.25 मीटर और सकल क्षमता 1106.58 एमसीएफटी थी। इसे 2006-08 में बढ़ाकर ऊंचाई 10.93 मीटर व क्षमता 1618.47 एमसीएफटी कर दी गई। बांध का जलग्रहण क्षेत्र 331.52 वर्ग किमी है। यहां से हर वर्ष पानी जुलाई से जनवरी माह के बीच 6.776 किमी लंबी सुरंग के माध्यम से जवाई बांध तक पहुंचाया जाता है। सुरंग की मौजूदा क्षमता 305 क्यूसेक है, जिसे बढ़ाकर 855 क्यूसेक करने के लिए राज्य सरकार ने 28 अक्टूबर 2020 को 8658.30 लाख की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति दी। कार्य 15 सितंबर 2024 तक पूर्ण होना था, लेकिन अभी तक 60 फीसदी कार्य ही हो सका है।

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