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स्पष्ट बहुमत के साथ ही दावेदारों की फेहरिस्त भी बड़ी, आखिर मुखिया बनेगा कौन

  • भाजपा में दावेदारी के सीधे मुकाबले में थे दो, अब हो सकता है चतुष्कोण से पंचकोणीय मुकाबला
  • जिले की सबसे बड़ी पंचायत में जीतकर आए कद्दावरों के बीच फंस रहा दावेदारी का पेंच

सिरोही. पंचायतराज चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद यह तो साफ हो गया कि जिला प्रमुख भाजपा का बनेगा, लेकिन सह स्पष्ट नहीं हो पाया कि आखिर जिले की इस सबसे बड़ी पंचायत में मुखिया बनेगा कौन। स्पष्ट बहुमत के साथ ही दावेदारों की फेहरिस्त भी बड़ी हो गई है। जिला प्रमुख का पद अनारक्षित वर्ग के लिए रखा गया है और बहुमत के आधार पर कई दावेदार सामने आ रहे हैं। इनमें से कुछ प्रत्याशी कद्दावर भी है। ऐसे में भाजपा के लिए किसी एक का चुनाव करना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है। वैसे जिलाध्यक्ष अपने भाई को इस पर काबिज करने की चाह रखते हैं। सीधे तौर पर यह सभी को पता है कि भाजपा जिलाध्यक्ष ने जिला प्रमुख की चाह रखते हुए ही अपने भाई को सदस्य के लिए चुनाव लड़वाया है। उधर, पूर्व जिलाध्यक्ष खुद जिला प्रमुख होने की राह पर है। जिला प्रमुख बनने की दावेदारी का खास मुकाबला इन दोनों के बीच ही माना जा रहा है। वैसे यह भी तय है कि अपने भाई को जिला प्रमुख बनाने की रणनीति में जिलाध्यक्ष ने टिकट वितरण के दौरान भी खास ध्यान रखा होगा। लिहाजा ज्यादा सदस्य उनके पक्ष के हो सकते हैं, लेकिन भाई-भतीजावाद को तवज्जो न दे तो यह बहुमत किसी अन्य के पक्ष में भी जा सकता है। वैसे जिलाध्यक्ष व पूर्व जिलाध्यक्ष के बीच जिला प्रमुख पद की इस खींचतान के बीच अनारक्षित वर्ग के अन्य प्रत्याशी भी जीतकर आए हैं, जो इस सीधे मुकाबले को चतुष्कोणीय या पंचकोणीय मुकाबला भी बना सकते हैं। इसमें पिण्डवाड़ा एवं शिवगंज क्षेत्र के दो प्रत्याशी शामिल है। पिण्डवाड़ा क्षेत्र से अनारक्षित वर्ग की एक महिला भी जीतकर आई हैं। लिहाजा माना जा सकता है कि किसी एक का चयन करने के लिए पार्टी स्तर पर पदाधिकारियों को भारी मशक्कत करनी पड़ सकती है। जिला प्रमुख के लिए किसके नाम पर मुहर लगती है यह चुनाव के समय ही सामने आ सकेगा।

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अभी कुछ भी कहना मुश्किल
मतदान के बाद से ही सदस्य बाड़ेबंदी में हैं। इनके साथ जाने वाले सूत्रधार के जरिए ही संगठन पदाधिकारी आपसी सम्पर्क कर रहे हैं। ऐसे में जिला प्रमुख की दावेदारी को लेकर भी परस्पर विचार-विमर्श चल रहा है। संगठनात्मक स्तर पर जिला प्रमुख के लिए किस नाम पर मुहर लगेगी यह कहना अभी मुश्किल ही है।

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हर बार जिलाध्यक्ष के इर्द-गिर्द के दावेदार
जिला परिषद में जब भी भाजपा को बहुमत मिला है जिला प्रमुख का दावेदार तत्कालीन जिलाध्यक्ष के इर्द-गिर्द का ही रहा है। गौरतलब है कि गत चुनाव में जिला प्रमुख भाजपा का ही बना था। ये पूर्व जिलाध्यक्ष की बहू थीं। इनसे पहले भी बहुमत भाजपा को ही मिला था, लेकिन भितरघात के कारण भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा था। तब जिला प्रमुख के प्रत्याशी तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष ही थे। इस बार मुख्य मुकाबले में जिलाध्यक्ष के भाई एवं पूर्व जिलाध्यक्ष ही है।

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