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बलात्कार के बाद बालिका की हत्या के आरोपी को सुनाया मृत्युदंड

  • कोर्ट ने कहा, समाज के लिए अभिशाप है अभियुक्त इसे मृत्युदण्ड दिया जाना ही न्यायोचित
  • सिरोही में पॉक्सो विशेष कोर्ट में त्वरित गति से चली सुनवाई, एक साल में सुनाया फैसला

सिरोही. पॉक्सो अधिनियम (POCSO) के तहत सुनवाई कर रही विशेष कोर्ट ने आठ वर्षीय बालिका से बलात्कार व हत्या के मामले में आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस मामले में त्वरित गति से सुनवाई की तथा सालभर में ही फैसला सुनाया। अपने फैसले में न्यायालय ने यह संदेश दिया कि अभियुक्त समाज के लिए अभिशाप है। इसे कठोर दण्ड मृत्युदण्ड दिया जाना ही न्यायोचित है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार गत 26 सितम्बर, 2020 को अनादरा थाने में इस आश्य की एक रिपोर्ट पेश की गई थी। इसमें बताया था कि 25 सितम्बर, 2020 को दोपहर तीन बजे आठ वर्षीय बालिका बरसाती नाले की ओर गई थी। इस दौरान युवक नोकाराम उर्फ भारमा पुत्र मालाराम गरासिया उसे पकड़ कर ले गया तथा बलात्कार के बाद गला घोंट कर उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने त्वरित गति से अनुसंधान करते हुए पॉक्सो कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय ने भी त्वरित गति से सुनवाई करते हुए सालभर में ही फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष की ओर से विशिष्ठ लोक अभियोजक प्रकाश धवल की ओर से पैरवी की गई।

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सजा सुनाते समय न्यायालय ने दिया यह संदेश
पॉक्सो कोर्ट ने सोमवार को दण्डादेश सुनाते समय प्रकरण को दुर्लभ से दुर्लभ मामला मानते हुए मुल्जिम नोकाराम उर्फ
भारमा को मृत्युदण्ड की सजा खुले न्यायालय में सुनाई। न्यायालय ने सजा सुनाते समय यह संदेश भी दिया कि ”बच्चों को बिना किसी भय व असुरक्षा के समाज में प्रसन्नतापूर्वक जीने का अधिकार हैं, परन्तु वर्तमान परिपेक्ष्य में प्रतिदिन दैनिक समाचार पत्रों में छोटी बालिकाओं के साथ में बलात्कार के अपराधों के समाचार प्रकाशित होते हैं। यदि बच्चें घर से बाहर सुरक्षित नहीं हैं तो यह अत्यधिक विचारणीय विषय है। विधायिका की ओर से वर्ष 2019 में पॉक्सो अधिनियम में संशोधन कर अपराधों के दण्ड को और कठोर बनाने का यह ही कारण है कि बच्चों के प्रति यौन अपराधों में प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। अत: प्रस्तुत प्रकरण में अभियुक्त समाज के लिए अभिशाप है। अभियुक्त को कठोर दण्ड मृत्युदण्ड दिया जाना ही न्यायोचित है।ÓÓ

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केस ऑफिसर स्कीम में लिया था प्रकरण
उधर, पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्रसिंह ने बताया कि अपराध जघन्य प्रकृति का होने से इसे केस ऑफिसर स्कीम में लिया गया। अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों को समय पर न्यायालय में उपस्थित करवाकर प्रकरण की पुरजोर तरीके से न्यायालय में पैरवी की गई। न्यायालय ने उपरोक्त धाराओं में मुल्जिम को चार्ज सुनाया। अभियोजन की ओर से कुल 24 गवाह न्यायालय में परिक्षित करवाए गए। न्यायालय ने अनुसंधान अधिकारी के अनुसंधान से संतुष्ट होकर उक्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य तथा लास्ट सीन के साक्ष्य को विश्वनीय माना। मुल्जिम की डीएनए प्रोफाइल भी मृतका के डीएनए प्रोफाइल से मैच हुई थी। इस प्रकार अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों से सहमत होकर न्यायालय ने मुल्जिम को 24 सितम्बर 2021 को दोषित किया था। प्रकरण का अनुसंधान डीएसपी नरेन्द्रसिंह ने किया। वहीं, कांस्टेबल देवेन्द्रसिंह ने कोर्ट एलसी के रूप में कार्य करते हुए अभियोजन पक्ष के सभी गवाहों को समय पर न्यायालय में उपस्थित करवाया।#SirohiPocsoCourtJudgement

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