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जाति बंधन तोड़े, यह भारतीय कहलाने का समय है

  • कवि टीकम अनजाना की कृति रज भारत की चन्दन सी का लोकार्पण

कोटा. भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं प्रसिद्ध कवि टीकम अनजाना की पांचवीं कृति रज भारत की चन्दन सी के द्वितीय संस्करण का लोकार्पण किया गया। समारोह रोटरी क्लब, बिनानी सभागार में हुआ। संभागीय आयुक्त दीपक नन्दी का मुख्य आतिथ्य रहा।

उन्होंने कहा कि मैंने बहुत कृतियों के लोकार्पण देखे हैं पर जो यह आयोजन हुआ है वह अनूठा है। यह आयोजन इसलिए भी अनूठा है कि यहां मंच और श्रोता एक लय में दिखे। सच तो है आज जाति बंधन को तोड़कर अपने आप को भारतीय कहलाने का समय है। आज समाज में भ्रष्टाचार, अनाचार, भ्रष्ट आचरण जो दिखाई दे रहा है वह विकृत मानसिकता के देन है। यह कलुष अच्छी कृतियों के नियमित पठन से दूर हो सकता है। इस सन्दर्भ में कवि अनजाना की यह पुस्तक पठनीय है। इस कृति की सार्थकता इसीलिए महत्वपूर्ण है कि साहित्यकार ही देश में परिवर्तन की धारा ला सकता है। इसलिए हमें अच्छे प्रेरक और दिशाबोधक साहित्य को पढऩा और पढ़ाना चाहिए। समारोह में कवि टीकम अनजाना ने अतिथियों को स्मृति चिह्न प्रदान कर अभिनंदन किया। प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण किया। सरस्वती वंदना कवि रतनलाल वर्मा ने प्रस्तुत की। रविन्द्र श्रीवास्तव ने आभार ज्ञापित किया।

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सभी के लिए उपयोगी है यह काव्य
समारोह के अध्यक्षता करते हुए रोटरी क्लब के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि आज के समय में यह काव्य पुस्तक बच्चों के साथ सभी के लिए उपयोगी है। विशिष्ट अतिथि हिन्दी व राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि लोकार्पित कृति में प्रमुख राष्ट्रीय स्वर है और जिसमें कृतिकार सबको साथ लेकर देशराग गाना चाहते हैं जो आज की आवश्यकता है। इनका पद्य देखकर लगता है यह खण्ड काव्य और महाकाव्य लिख सकते हैं। समाज के विविध पक्षों को उकेरती यह कृति आजादी के अमृत महोत्सव को अनुपम सौगात है जिसमें राजस्थान के साहित्य, संस्कृति और शौर्य का अक्स देखा जा सकता है।

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आदिकाल से ही साहित्य समाज का दिग्दर्शक है
अतिथि वक्ता समीक्षक तथा राजकीय कन्या कला महाविद्यालय की प्रो. डॉ. मनीषा शर्मा ने कहा कि आदिकाल से ही साहित्य समाज का दिग्दर्शक बना हुआ है। सच्चे साहित्य और साहित्यकारों ने समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कवि टीकम अनजाना की कृति रज भारत की चन्दन सी में यह उद्देश्य स्पष्ट और उल्लेखनीय दिखाई देता है। विषय वैविध्य से समृद्ध इस कृति में समाज और राष्ट्रहित के सभी सन्दर्भ सहज, सरल और भावात्मक रूप में प्रस्तुत हुए हैं। कवि ने भारतीय गौरवपूर्ण अतीत को जीवंत कर प्रेरणा प्रदान करते हुए मानव मात्र की एकता, समानता, समरसता और भाईचारा बनाए रखने की बात प्रभावी रूप से सामने आई है, क्योंकि इस संग्रह की सभी कविताएं संप्रेषणीय हैं।

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जागरण और प्रयाण का शंखनाद है यह कृति
अतिथि वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु शर्मा हरिहर ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव पर लोकार्पित यह कृति सभी के लिए पठनीय है। कवि के लेखन का सम्पूर्ण आधार प्रकृति, मनुष्य, विसंगतियां, देश, संस्कृति, महापुरुष और देश का गौरवशाली इतिहास के नायक और नायिकाएं रही हैं। यह काव्य कृति जागरण और प्रयाण का शंखनाद बन गई है जिसमें छिपे निहातार्थ देश और समाज के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होंगे। अनजाना दृढ आस्था के साथ पूर्ण आस्तिक भाव से प्रकृति और मनुष्य को जोडऩे का सापेक्ष प्रयास करते नजर ही नहीं आते, वरन सभी समस्याओं, विमर्शों और प्रतिकूलताओं से सामना करते हुए समस्या समाधान के रूप में उत्साह देने वाला सृजन कर्म करते हैं। यही काव्य कृति रज भारत की चंदन सी और कृतिकार की सबसे बड़ी विशेषता है।

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नई ऊर्जा से भर देती है कविताएं
समारोह के दौरान अपनी रचना प्रक्रिया पर कृतिकार कवि टीकम अनजाना ने कहा कि इस पुस्तक में जन सामान्य और विशेषकर विद्यार्थियों के लिए सही और विश्वसनीय जानकारी को काव्यात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। राजकीय सार्वजानिक पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ. दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि इस पुस्तक की सभी कविताएं पाठक को नई ऊर्जा से भर देती हैं और उनके विचारों को प्रेरणा प्रदान करती है। संयोजन करते हुए कथाकार व समीक्षक विजय जोशी ने कहा इस संकलन की अधिकांश कविताएं बाल गीत के रूप में गाई जाने वाली प्रेरक रचनाएं हैं जो हमारे समय में बाल सभाओं में गाई जाती थीं। आज वैसी ही बाल सभाओं की आवश्यकता है जहां बच्चों में सृजन का संस्कार विकसित और परिपक्व होता है। यह कृति इसके लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें मनुष्य, राष्ट्र और संस्कारों की त्रिवेणी है तो प्रेरक प्रसंगों की अनुगूंज भी है।#kota/jaipur.Poet Tikam Anjaana’s work Raj Bharat Ki Chandan Si launched

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