अंदर फंसे रहे या डामर में पुते बाहर निकले, मौत तय है
- जानलेवा बेपरवाही का अंजाम: गड्ढों में दम तोड़ रहा गोवंश
- फोरलेन की मरम्मत के बाद खुले गड्ढों में डाल गए डामर
सिरोही. फोरलेन की मरम्मत के बाद डामर को गड्ढों में डाल गए। अब डामर से भरे गड्ढे मौत का पर्याय बन रहे हैं। पालतू व घुमंतू पशुओं के लिए ये गड्ढे काल बन रहे हैं। गड्ढे में गिरने के बाद जानवर डामर में फंसे रह जाते हैं। कुछ समय बाद ही मौत हो जाती है। किसी जानवर को बाहर निकाल भी ले तो शरीर पर चिपका डामर उसे ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहने देता। लिहाजा डामर भरे गड्ढे की चपेट में आने वाले जानवर की मौत तय है। इसे जानलेवा बेपरवाही का अंजाम ही कहा जाएगा कि पिछले कुछ दिनों में ही यहां आधा दर्जन गोवंश की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद न तो प्रशासन के कानों पर जूं रेंग रही है और न ही फोरलेन की देखभाल करने वाली एजेंसी ध्यान दे रही है।#sirohi.Consequence of fatal negligence: Cows dying in pits
रेस्क्यू के बाद भी गोवंश बचा नहीं पाए
पिछले सात दिनों में ही यहां से तीन गायों का रेस्क्यू किया जा चुका है। डामर में फंसी गायों को नजदीकी पीएफए सेंटर ले जाया गया, जहां उपचार करवाया गया। लेकिन, जान नहीं बचा पाए। इससे कुछ दिन पहले भी डामर में फंसने से चार-पांच गायों की मौत हो चुकी है।
किनारे पर ही हारी जीवन की बाजी
मौत के ये गड्ढों से जान की जोखिम कितनी है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कम मजबूत जानवर तो किनारे पड़े डामर में ही जान गंवा सकता है। गड्ढे के किनारे डामर में फंसा जानवर का शव आज भी अपनी मौत की कहानी खुद कह रहा है। डामर में फंसने के बाद इसने काफी जद्दोजहद की होगी पर शायद मौत से बच नहीं पाया। नतीजतन, तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।
आखिर पशु क्रूरता का जवाबदेह कौन
पिछले कई दिनों से सड़क किनारे पड़े डामर में फंस कर पशु काल-कवलित हो रहे हैं। इसे पशु क्रूरता भी कहा जा सकता है, लेकिन जिला मुख्यालय से सटे इस मामले पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के कारण फोरलेन की देखभाल करने वाली एजेंसी के अधिकारी भी इस मामले में उदासीनता बरत रहे हैं। ऐसे में पशु क्रूरता का जवाबदेह आखिर किसे माना जाए यह कहना मुश्किल है।#sirohi.After repairing the forelane, the asphalt was thrown into the open pits, who is responsible for animal cruelty?