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राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तक पहुंचा खनन का मामला

  • आदिवासी क्षेत्र में नुकसान एवं समाधान पर जांच करेगा आयोग
  • प्रस्तावित खनन परियोजना निरस्ती की मांग कर रहे हैं ग्रामीण

सिरोही. पिण्डवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित खनन परियोजना का मामला अब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) तक पहुंच चुका है। आदिवासी क्षेत्र में हो रहे नुकसान एवं समस्याओं के समाधान को लेकर आयोग ने जांच करने का निर्णय लिया है। इस सम्बंध में जिला कलक्टर से समुचित जानकारी मांगी है। पिण्डवाड़ा से आदिवासी विकास सेवा समिति की ओर भेजी गई शिकायत के आधार पर आयोग ने जिला कलक्टर (DM_SIROHI) को पत्र भेजकर जल्द ही जानकारी देने का अनुरोध किया है। साथ ही चेताया है कि निर्धारित समयावधि में प्रत्युत्तर नहीं मिलने पर आयोग उन्हें समन भी जारी कर सकता है।

पुलिस को परिवाद प्रस्तुत किए
उधर, खनन परियोजना के समर्थन में दिए गए सुझाव पत्रों पर फर्जी हस्ताक्षर करने का मामला भी सामने आ रहा है। सोशल मीडिया में पत्र वायरल होने पर सम्बंधित लोगों ने पुलिस में परिवाद प्रस्तुत किए हैं। इसमें सुझाव पत्र पर फर्जी हस्ताक्षर करने वालों पर सख्त कार्रवाई किए जाने की मांग की है।

नाम, नम्बर व हस्ताक्षर का दुरूपयोग
पिण्डवाड़ा क्षेत्र में मै.कमलेश मेटाकास्ट की प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना के समर्थन में फर्जी हस्ताक्षर, नाम और मोबाइल नम्बर के दुरूपयोग का मामला सामने आया है। भारजा निवासी परबतसिंह देवड़ा ने इस सम्बंध में रोहिड़ा थाने में परिवाद देकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। जिला परिषद सदस्य रीना भुवनेश पुरोहित ने भी स्वरूपगंज थाने में इस सम्बंध में रिपोर्ट दी है।

इस तरह का ज्ञापन प्रस्तुत ही नहीं किया
पीडि़त परबतसिंह ने बताया कि 19 सितम्बर 2025 को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, क्षेत्रीय कार्यालय आबूरोड में एक ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। इस दस्तावेज में उसके नाम, मोबाइल नम्बर व नकली हस्ताक्षर का उपयोग कर उन्हें खनन परियोजना के समर्थन में सहमति देने वाला दर्शाया गया है, जबकि उन्होंने ऐसा कोई ज्ञापन कभी प्रस्तुत नहीं किया। उन्होंने फर्जी हस्ताक्षर करने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग रखी है। साथ ही ज्ञापन लेने वाले कार्मिकों पर आरोप लगाते हुए उनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं।

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