- जांच वाली रफ्तार से परिणाम आता तो कई कार्मिक नप जाते
- फाइनल रिपोर्ट सौंपे दो माह बीत गए पर कार्रवाई नतीजा शून्य
सिरोही. रेवदर पंचायत समिति की रायपुर ग्राम पंचायत में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार उजागर करने में जिस रफ्तार से फाइल चली, उसी रफ्तार से कार्रवाई नहीं हो पाई। होती तो अभी तक कई कार्मिक नप गए होते, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। मामले की फाइनल रिपोर्ट जिला परिषद तक पहुंच चुकी है, लेकिन नतीजा शून्य ही है। यहां तक कि कमेटी की रिपोर्ट आते ही विकास अधिकारी ने तत्काल ही फाइनल रिपोर्ट सबमिट कर दी, लेकिन जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दो माह बाद भी नतीजा नहीं दे पाए हैं। पंच वर्षीय अनियमितता, गबन एवं भ्रष्टाचार की नींव कितने गहरे तक पैठी है यह इसी से सोच सकते है।
सीईओ को भेजी फाइनल रिपोर्ट
रायपुर पंचायत में पिछले पांच वर्षों में हुए कार्यों में अनियमितता का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने पंचायतराज मंत्री को शिकायत प्रस्तुत की थी। इस पर तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच शुरू की गई। कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर विकास अधिकारी, रेवदर ने भी अपनी फाइनल रिपोर्ट जिला परिषद को भेज दी है।
कई कार्मिक जांच के दायरे में
जांच कमेटी की रिपोर्ट में तत्कालीन सरपंच व प्रशासक छगनलाल एवं रायपुर पंचायत में कार्यरत रहे ग्राम विकास अधिकारी फाउलाल, हनुमानाराम व श्रवणकुमार आदि को दोषी माना गया है। तकनीकी अधिकारियों को भी जांच कमेटी ने दोषी मानते हुए कार्रवाई किए जाने की अनुशंसा की है।
दो माह बाद भी नहीं आया नतीजा
ग्रामीणों की ओर से प्रस्तुत की गई शिकायत के बाद प्रशासन तत्काल हरकत में आया। अगले ही दिन जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने डेढ़ माह में ही रिपोर्ट सौंप दी। इसके सप्ताहभर बाद ही फाइनल रिपोर्ट भी सीईओ तक भेज दी गई। लेकिन, दो माह बाद भी कोई नतीजा सामने नहीं आया है। दोषियों पर कार्रवाई कब तक हो पाएगी यह कहना मुश्किल है।
इस तरह चली जांच रिपोर्ट
- शिकायत 24 जुलाई को पंचायत शाखा को भेजी गई
- जांच कमेटी गठन के आदेश 25 जुलाई को हुए
- कमेटी ने 11 सितम्बर को बीडीओ को रिपोर्ट सौंपी
- बीडीओ ने 19 सितम्बर को सीईओ को फाइनल रिपोर्ट भेजी



