अंधेरे कोनों में छिपे रहते चोर और रजाइयों में दुबकी बैठी पुलिस!

- सर्द रातें और चोरों की पौ बारह:जिलेभर में सघन गश्त के नाम पर पुलिस निभा रही औपचारिकता
- चोर गली-कूचों तक घुस आते हैं और वारदात अंजाम देकर आराम से रफूचक्कर भी
सिरोही. बेशक सिरोही एसपी धर्मेन्द्रसिंह की पुलिस महकमे में रौबदार अफसर की छवि है पर लगता है उनके इस रौब का जिले के पुलिसकर्मियों पर कोई खास असर नहीं है। यदि असर होता तो मजाल है कि सिरोही में चोरी की वारदात पे वारदात होती जाएं और पुलिसकर्मी सर्द रातों में रजाइयों से बाहर ही नहीं निकले। सच तो यह है कि सर्दी आते ही चोरों की मौज हो गई है। यदि मौजा नहीं होती तो जिले में चोरी की वारदातों की झड़ी नहीं लग जाती। आबूरोड के रीको एरिया में तो थाने के नजदीक ही चोर आसानी से वारदात को अंजाम देकर निकल रहे हैं।
शहर तो क्या जिलेभर में कमोबेश यही स्थिति है। चोर आते हैं और गली-मोहल्लों में वारदात को अंजाम देकर आसानी से फुर्र भी हो जाते हैं, लेकिन पुलिस को पता तक नहीं चलता। शायद इसलिए कि न तो शहर में गश्त होती है और न ही गांवों में। गश्त की औपचारिकता में कुछ खास प्वाइंट पर भी पुलिस का पहरा नहीं रहता, ऐसे में बदमाश आराम से आवाजाही करते हैं। सुबह लकीर पीटने के अलावा कोई चारा नहीं बचता।
लगातार हो रही चोरी की वारदातें
आबूरोड के रीको एरिया में लगातार चोरी की वारदातें हो रही है। पिण्डवाड़ा, कालन्द्री, बरलूट समेत अन्य इलाकों में भी यही स्थिति है। सिरोही शहर में भी आए दिन इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। इसके बावजूद पुलिस न तो इनके विरुद्ध कार्रवाई कर रही है और न बदमाश गिरफ्त में आ रहे हैं।
तब लूट लेते हैं खुलासे की वाहवाही
यह भी सच है कि अव्वल तो पुलिस छोटी-मोटी चोरी का मामला ही दर्ज नहीं करती। कभी दर्ज कर भी ले तो मामले को जांच में डालकर छोड़ दिया जाता है। फिर कभी किसी जगह कोई आरोपी हाथ लग जाए तो पूछताछ में इन वारदातों का भी खुलासा होता है। इसके बाद आरोपी को सम्बंधित थाने में लाने से लेकर इस वारदात का खुलासा करने तक की वाहवाही लूट ली जाती है।
… तो समझ सकते हैं असलियत क्या है
मामले कम दर्ज होते हैं और पुलिसकर्मी इन आंकड़ों के लिहाज से चोरी की वारदातें कम ही है ऐसा बता सकते हैं। लेकिन, असलियत कुछ और ही है। अव्वल तो पुलिस छोटी-मोटी चोरी का तो मामला ही दर्ज नहीं करती है। यदि दो-पांच या दस हजार के माल की चोरी हो तो बड़े प्यार से समझा-बुझाकर रिपोर्ट दर्ज नहीं कराने के लिए रिपोर्ट देने आने वाले को रजामंद कर देती है। इस तरह के मामलों में यदि पुलिस कप्तान चाहे तो किसी को डमी के तौर पर छोटी-मोटी चोरी की रिपोर्ट लेकर किसी भी थाने में भेज सकते हैं। उन्हें भी पूरा माजरा समझ में आ जाएगा कि असलियत क्या है।
बदमाशों के लिए मानों खुला खेत है सिरोही
सिरोही जिला एक तरह से बदमाशों के लिए खुला खेत माना जा सकता है। कोई अनजान व्यक्ति यदि दिन में या रात में किसी भी समय सिरोही शहर से गुजरे तो शायद ही उसे रोककर पूछने वाला मिलेगा कि तुम कहां से आए हो। कहां जा रहे हो। तुम्हारी पहचान का कोई दस्तावेज भी साथ है या नहीं है। चाहे वह बदमाश हो या अन्य। किसी आपराधिक वारदात को अंजाम देने की फिराक में घूम रहा हो या फिर कोई फेरी वाला ही क्यों न हो। शायद ही कोई पुलिस वाला उसे रोककर पूछे। कुछ ऐसा ही हाल जिलेभर में हैं।
बगैर पहचान के रह रहे कई लोग
शहर व आसपास के क्षेत्र में हाईवे पर चल रहे ढाबों व होटलों पर भी कई लोग ऐसे मिल जाएंगे जो बाहर से आए हुए हैं। भले ही वे लोग काम करने वाले हैं, लेकिन उनकी पहचान का दस्तावेज भी शायद ही ढाबों व होटल मालिकों के पास होगा। पुलिस भी इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं लेती है। सत्यापन को लेकर जांच शुरू की जाए तो इस तरह के कई मामले सामने आ सकते हैं, जिसमें बगैर पहचान के यहां रहने वाले बाहरी लोग मिल जाएंगे। पुलिस इसमें दिलचस्पी लें तो चोरी सरीखी कई वारदातों पर काफी हद तक ब्रेक लग सकते हैं।#sirohi.Thieves hiding in dark corners and police sitting in quilts