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परिजनों के इंतजार में तीन दिन तक मोर्चरी में रहा मां का शव

  • बच्चों को बेसहारा छोड़ फानी दुनिया को अलविदा कर गई मां
  • वार्ड में भर्ती मरीजों व परिजनों ने की दो बच्चों की देखभाल

सिरोही. होश संभाला तब से मां की गोद में थे, प्यार इतना मिला कि कोई गम नहीं था। सालभर पहले पिता की मौत के बाद भी मां के साये में ये बेसहारा नहीं थे, लेकिन अब मां भी इन दोनों को छोडक़र इस फानी दुनिया को अलविदा कर गई। मां का शव मोर्चरी में तीन दिन तक पड़ा रहा और बच्चे वार्ड में ही अपने परिजनों के आने की राह तकते रहे। वार्ड में भर्ती अन्य मरीज और उनके परिजनों ने इनकी देखभाल की। समाजसेवी प्रकाश प्रजापति के सहयोग से मां का अंतिम संस्कार मौत के तीन दिन बाद किया जा सका।

अनाथ तो नहीं पर कोई सहारा भी नहीं है
मां के लाड़ले रहे ये भाई-बहन अनाथ तो नहीं है, लेकिन इनका कोई सहारा भी नहीं है। आबूरोड में गणका निवासी महज बारह से तेरह आयु वर्ष के इन बच्चों का जीवन कैसे कटेगा और गुजर-बसर किस तरह होगी कहना मुश्किल है। समाजसेवी प्रजापति बच्चों की देखभाल किसी संस्था के जरिए करवाने पर भी वे प्रयास कर रहे हैं।

नीम बेहाशी की हालत में लाया गया था
बताया जा रहा है कि बीमारी की हालत में मां आशाबेन को नीम बेहोशी की स्थिति में जिला अस्पताल लाया गया था। दो बच्चे रामावतार व काजल साथ थे, जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। वार्ड में भर्ती मरीजों व उनके परिजनों ने इनकी देखभाल की।

परिजनों ने कहा, हम लोग रिश्ता तोड़ चुके
इस मामले की जानकारी मिलने पर लॉयंस क्लब से जुड़े रेड क्रॉस सोसाइटी चेयरमैन प्रकाश प्रजापत ने बच्चों की देखभाल में सहयोग किया। वहीं, महिला की मौत के बाद परिजनों से सम्पर्क साधने का प्रयास किया, लेकिन एक भी परिजन नहीं आया। जवाब आया कि वे लोग महिला व उसके बच्चों से रिश्ता तोड़ चुके हैं। इसके बाद प्रकाश प्रजापति ने शहर के श्मशान घाट में हिंदू रीति-रिवाज से महिला का अंतिम संस्कार करवाया। उसके नौ वर्षीय पुत्र रामावतार व तेरह वर्षीय पुत्री काजल से कंधा व मुखाग्नि दिलाई। महिला के पड़ोसी सतुराम, नारायणलाल, चुन्नीलाल आदि मौजूद रहे।

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