… तो क्या आयुक्त के आदेश नहीं मानते आबकारी अधिकारी!

- शराब के ठेकों पर एमआरपी से ज्यादा वसूली को दे रहे शह
- इनकी सरपरस्ती न होती तो पोस मशीन लग जाती और बिल भी मुहैया होते
- ठेकेदारों को शह देने के लिए ताक पर रख दिए आयुक्त के आदेश
सिरोही. शराब की दुकानों पर ग्राहकों को बिल जारी करने का प्रावधान किया गया है, ताकि ठेकेदार एमआरपी से ज्यादा राशि नहीं वसूल पाए। लेकिन, महकमे में इस प्रावधान की पूरी अवहेलना हो रही है। यहां तक कि आबकारी महकमे में सबसे बड़े अधिकारी आयुक्त ने ठेकों पर पोस मशीन लगाए जाने के आदेश तक जारी कर दिए, लेकिन उनके आदेशों की ही धज्जियां उड़ाई जा रही है।
गत अगस्त माह से पोस मशीनें लगाई जानी थी, लेकिन अक्टूबर तक भी दुकानों पर मशीनें नहीं लग पाई। जिला अधिकारी व निरीक्षक ठान ले तो दुकानों पर तत्काल ही पोस मशीन लग सकती है, लेकिन नहीं लगने के दो ही कारण हो सकते हैं या तो जिलास्तरीय अधिकारी अपने आयुक्त के आदेशों को नहीं मानते या फिर वे ठेकेदारों की ओवररेट वसूली वाली कारस्तानी को पूरी तरह शह दे रहे हो। माना जा रहा है कि आयुक्त ने इस तरह के आदेश जारी तो कर दिए, लेकिन जिलों में तैनात अधिकारी शायद ठेकेदारों को शह दे रहे हैं। यदि अधिकारियों की सरपरस्ती नहीं होती तो शराब के ठेकों पर न केवल पोस मशीनें लग जाती बल्कि ग्राहकों को बिल भी मुहैया होने लगते।
… ताकि मामला रफा-दफा हो सके
बताया जा रहा है कि कुछ दुकानों पर ठेकेदारों ने मशीनें लगा रखी है, लेकिन दिखावेभर के लिए। ताकि अधिकारी भी अपने उच्चाधिकारियों को आश्वस्त कर सके कि जिले में पोस मशीनें अब लग रही है। धीरे-धीरे सभी दुकानों पर मशीनें लगवा दी जाएगी। मान लीजिए कभी पोस मशीनें नहीं लगने या बिल नहीं देने का कोई मुद्दा उठे तो इन चुनिंदा दुकानों का निरीक्षण कर मामले को रफा-दफा करवाया जा सके। शिकायतों का निस्तारण करने के लिए इस तरह से दिखावे की मशीनें लगाना जरूरी भी है।
ठेकेदारों की मनमर्जी पर रोक नहीं
शराब ठेकों पर पोस मशीन लगाने एवं बिल देने का प्रावधान होने से ज्यादा वसूली पर रोक लगने वाली थी। ग्राहकों को सही दामों पर शराब मिल सकती थी, वहीं उपभोक्ता अधिकारों के लिए भी यह आवश्यक है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। पोस मशीन से उत्पाद का बिल मिलने पर ओवररेट लेने पर रोक लग सकती है, लेकिन ठेकेदारों की मनमर्जी के आगे किसी की नहीं चल रही।
नहीं तो मशीनें कब की लग जाती
बताया जा रहा है कि ठेकों पर मनमर्जी से दाम वसूले जा रहे हैं और विभागीय अधिकारी मौन है। इस चुप्पी के कारण ठेकेदार मनमर्जी के दाम वसूलते हुए चांदी काट रहे हैं। पोस मशीन लगने एवं बिल जारी होने पर एमआरपी से ज्यादा राशि नहीं ले सकते। पोस मशीन लगने पर यह अवैध वसूली बंद हो सकती है, लेकिन ठेकेदार अपने फायदे के लिए बगैर बिल ही शराब बेचना चाहते हैं। दूसरी ओर महकमे के अधिकारी भी ठेकेदारों को शह देने के चक्कर में पोस मशीन लगवाने में सख्ती नहीं दिखा रहे। मान सकते है कि ठेकेदारों की इस अवैध वसूली को पूरी शह मिली हुई है अन्यथा आदेश जारी होते ही ठेकों पर पोस मशीनें लग जाती।
जुलाई में आदेश जारी कि अगस्त से लगेगी मशीन
इस वित्तीय वर्ष की आबकारी नीति में यह कहा गया कि अब ग्राहक को प्रत्येक उत्पाद के लिए बिल मिलेगा। नीति के प्रावधान की अनुपालना में आबकारी आयुक्त डॉ. जोगाराम ने 25 जुलाई को आदेश भी जारी किए। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि अगस्त माह से शराब दुकानों पर उत्पादों की बिक्री केवल पोस मशीन के जरिए होगी। इसके लिए सभी मदिरा दुकानों पर आरएसबीसीएल की ओर से निर्धारित पोस मशीन का सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना होगा। बारकोड रीड करने के लिए एक या अधिक स्कैनर लगाने होंगे।#If the Excise officer had intrest there, then the POS machine would have been installed and the bills would also have been provided.