राजनीति व अपराध का गठजोड़: शराब तस्कर संभाल रहा था बाड़ेबंदी की जिम्मेदारी

- डीसा की इस होटल में चल रही थी प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी, तस्कर के जिम्मे थी इनकी निगाहबानी
सिरोही. राजनीति एवं अपराध का गठजोड़ देखना हो तो इससे बढिय़ा उदाहरण शायद ही कहीं मिले। शायद राजनीतिक सरपरस्ती के कारण ही यह कुख्यात शराब तस्कर तीन माह से पुलिस को छका रहा था। पुलिस ने शराब तस्कर आनंदपाल उर्फ दीक्सा को डीसा की जिस होटल से गिरफ्तार किया है, वहां राजनीतिक दल के लोग भी एकत्र थे। इसलिए कि पंचायतराज चुनाव की बाड़ेबंदी चल रही है और प्रत्याशियों को डीसा की इसी होटल में रखा गया था। पुलिस के वांछित इस शराब तस्कर को इस बाड़ेबंदी की जिम्मेदारी दे रखी थी। चौंकना लाजिमी पर हकीकत यही है। सूत्र बताते हैं कि जिस कुख्यात तस्कर को पुलिस तीन माह से ढूंढ रही थी वह राजनीतिक आकाओं के लिए डीसा में प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी का निगाहबान बना बैठा था। पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद भी यह हाथ नहीं आने के पीछे भी शायद यही कारण हो सकते हैं। राजनीतिक वरदहस्त के कारण यह तस्कर आराम से घूम रहा था और पुलिस इसके ठिकाने ही तलाशती रही। हो सकता है शराब तस्करी का पूरा नेटवर्क ही इन सरपरस्तों के साये में चल रहा हो। ऐसे में पुलिस को अब इस तस्कर के राजनीतिक कनेक्शन से जुड़े तार भी तलाशने होंगे।
कब बेनकाब होंगे राजनीतिक आका
राजनीतिक सरपरस्ती में बैठे इस तस्कर को पकडऩे में पुलिस को सफलता तो मिल गई, लेकिन अब इसके आकाओं तक भी पहुंचना होगा। राजनीति के जिन पदाधिकारियों ने इसे बाड़ेबंदी की जिम्मेदारी सौंपी थी उन्हें भी बेनकाब करना होगा। शराब तस्करी के मामले में वांछित आरोपी को जिम्मेदारी सौंपना मतलब राजनीतिक आकाओं का इसे पूरा सरंक्षण है इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
पुलिस, राजनीति व अपराध
महज तीन माह पहले सिरोही में पुलिस व अपराध का गठजोड़ सामने आ चुका है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक हिम्मत अभिलाष पर शराब तस्करों से मिलीभगत के आरोप लगे थे। शराब तस्करी की लाइन चलने के मामले में जिले के कई थानाधिकारियों पर भी लांछन लगे। अब शराब तस्कर की गिरफ्तारी के दौरान राजनीतिक गठजोड़ का नया ही मामला सामने आ रहा है।#The nexus of politics and crime: the liquor smuggler was handling the responsibility of fencing