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अध्यात्म हमें भीतर से मजबूत बनाता है- स्वामी सत्यप्रकाश

-प्रेरक वचन

अध्यात्म के बिना मानव जीवन अधूरा है। अध्यात्म एक जीवन निर्माण का मूल सूत्र है, दिशा है पथ है। मानव मात्र के लिए अध्यात्म महत्वपूर्ण है। जीवन की शुरुआत संस्कारों से होती है और संस्कार हमें अध्यात्म से मिलते हैं। हमारे पूर्वजों ने जैसा हमें संस्कार व शिक्षा दी वैसा हम जीने का प्रयास करते हैं। अपने जीवन में कर्म करके शांति से जीवन यापन करना चाहते हैं। मनुष्य का मूल अध्यात्म है, उसे पुनर्जन्म के संस्कार माता के गर्भ में ही प्राप्त हो जाते हैं। परमात्मा व उनकी मूर्ति में श्रद्धा, ईश्वरीय शक्ति में विश्वास, सम्मान, बड़े व गुरुजनों के प्रति सम्मान आदि यह सब संस्कार अध्यात्म से बचपन में ही प्राप्त हो जाते हैं। मनुष्य का जन्म होता हैं, बड़ा, जवान, फिर वृद्ध हो जाता है। इस जीवन रूपी यात्रा में वह अध्यात्म से बहुत कुछ सीखता है और अनुभव भी करता है। अध्यात्म से व्यक्ति को भीतर से आत्मविश्वास व मानसिक बल मिलता है, व्यक्ति चाहे कैसा भी जीवन जी रहा हो, मन अशांत, व्याकुल या अस्थिर हो उसे सदग्रंथ व अध्यात्म का सहारा मिल जाए तो जीवन की यात्रा और सुगम व सरल हो जाती है। व्यक्ति के जीवन में कई तरह के पड़ाव आते रहते हैं। कभी सुख, कभी दुख, विपदा, परेशानियां, कठिनाइयां आदि का सामना करते करते सकारात्मक ऊर्जा नहीं मिलने के कारण व्यक्ति थक जाता है, हार जाता है या टूट जाता है। आत्महत्या तक कर लेता है। परन्तु जिस व्यक्ति के जीवन में अध्यात्म हो और आदर्श महापुरुषों के प्रेरक जीवन चरित्र, उनके संघर्ष की कहानियां व उनके त्याग व साहस का स्वाध्याय हो तो उसे भीतर से सकारात्मक ऊर्जा का बल प्राप्त होता है। वह अपने आपको कमजोर नहीं बल्कि मजबूत महसूस करता है। अध्यात्म में वो शक्ति है, जो हारे हुए जीवन को जीत में बदल देता है। अध्यात्म के बहुत सारे अंग हैं योग, प्राणायाम, ध्यान आदि। इनके माध्यम से व्यक्ति अपने आप को भीतर से मजबूत बना सकता है। जो व्यक्ति अपने जीवन में अध्यात्म को अपना लेता है वह संसार की कैसी भी स्थिति व परिस्थिति में हो अपने जीवन में कभी हार नहीं सकता…वो जीत जाता है।#Swami Satyaprakash,Spiritual Guru & Motivational Speaker

स्वामी सत्यप्रकाश, आध्यात्मिक गुरु व प्रेरक वक्ता

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