
- ज्योतिषी एवं वास्तुविद की नजर में महालक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ समय
सिरोही. दीपावली की अमावस्या इस बार सूर्य ग्रहण के साये में रहेगी। हालांकि चतुर्दशी शाम तक ही रहेगी तथा इसके बाद महालक्ष्मी पूजा एवं दीपावली मान्य रहेगी। लिहाजा इस समय में महालक्ष्मी पूजन किया जा सकेगा। #deepawali_2022
ज्योतिषी एवं वास्तुविद आचार्य प्रदीप दवे ने बताया कि ग्रहण एवं ग्रहण पूर्व सूतक के कारण पूजन कार्य करना मान्य नहीं रहता। इस बार अमावस्या पर सूर्य ग्रहण रहेगा। इसका सूतक सुबह साढ़े चार बजे से शुरू हो जाएगा।
धनतेरस को कुबेर पूजन का मुहूत्र्त
उन्होंने बताया कि कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी (धनतेरस) रविवार (23 अक्टूबर) को मान्य रहेगी। कुबेर पूजन का शुभ मुहूत्र्त सुबह 9.33 से 12.44 एवं दोपहर 1.46 से 3.11 तथा शाम को 5.58 से 8.32 बजे प्रदोष काल में श्रेष्ठ रहेगा।#Diwali 2022: Date, pooja timings for the 5-day festival
शाम बाद मान्य रहेगी दीपावली
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी (रूप चौदस) सोमवार (24 अक्टूबर) को शाम 5.27 बजे तक रहेगी। इसके बाद दीपावली एवं महालक्ष्मी पूजन मान्य रहेगा।#Deepawali_2022: Amavasya will remain in the shadow of solar eclipse- Deepawali from the evening of Chaturdashi
सुबह से रात तक कई मुहूत्र्त
ज्योतिषी एवं वास्तुविद प्रदीप दवे ने बताया कि महालक्ष्मी पूजन के लिए सुबह से शाम तक कई श्रेष्ठ मुहूत्र्त है। इस समय के अनुसार पूजन किया जा सकता है।
ये रहेंगे महालक्ष्मी पूजन के मुहूत्र्त
सुबह 6.45 से 7.30 अमृत वेला
सुबह 9.33 से 10.55 शुभ वेला
सुबह 11.49 से 12.44 अभिजित मुहूत्र्त
दोपहर 1.46 से 3.10 चंचल वेला
दोपहर 3.10 से 5.58लाभ अमृत वेला
शाम 5.58 से 8.32 प्रदोष वेला
शाम 7.14 से 9.11 वृषभ लग्न
रात 10.46 से 12.22 लाभ-वैभव
रात 1.42 से 3.57 सिंह लग्न
इस समय में करनी होगी बोहनी
ज्योतिषी एवं वास्तुविद प्रदीप दवे ने बताया कि महालक्ष्मी पूजन के बाद व्यापारियों को नए साल की बोहनी करनी होगी। उन्होंने बताया कि अमावस्या मंगलवार (25 अक्टूबर) को सूर्य ग्रहण है, जो शाम 4.31 से शुरू होकर 5.57 बजे मोक्ष होगा। ग्रहण का सूतक प्रात: 4.31 बजे से शुरू होगा। इसलिए लक्ष्मी पूजन करते ही बोहनी करनी होगी। इसके बाद कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा बुधवार (26 अक्टूबर) को प्रात: 6.44 से 9.34 एवं 10.58 से 12.22 बजे तक बोहनी कर सकेंगे।
