न कायदा और न कानून, आबकारी की आंखों पर पट्टी

- जिम्मेदारों की सरपरस्ती में हर समय बिक रही शराब
- जिला मुख्यालय से लेकर गुजरात बॉर्डर तक मौज ही मौज
सिरोही. शराब के शौकीनों को हर जगह और हर समय माल मुहैया करवाने के लिए आबकारी महकमा प्रतिबद्ध दिख रहा है। हालांकि आबकारी नीति के तहत शराब बेचने के लिए दुकानें आवंटित कर रखी है और इनका एक समय व जगह निर्धारित है, लेकिन जिम्मेदारों की सरपरस्ती में ठेकेदारों की मौज हो रही है। लिहाजा शौकीन भी मौज उड़ा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र तो क्या शहर में ही शराब की दुकानों पर कायदों की अवहेलना की जा रही है। फिर चाहे जिला मुख्यालय हो या गुजरात से सटा आबूरोड। माउंट आबू में तो स्थित और भी गंभीर है। यहां पर्यटकों के आवागमन को देखते हुए शराब बेचने का कोई समय या कायदा तय नहीं है। आए दिन की शिकायतों के बावजूद आबकारी महकमा न तो कायदों की पालना करवा रहा है और न ठोस कार्रवाई हो रही है। लिहाजा जिम्मेदारों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
यहां तो रातभर बिकती शराब
बताया जा रहा है कि गुजरात से सटे इलाकों में देर रात तो क्या रातभर तक शराब की बिकवाली हो रही है। आबूरोड, रेवदर, मंडार आदि क्षेत्र में शराब की दुकानें खुलने व बंद होने का कोई समय तय नहीं है। देर रात तक भी इन दुकानों के आगे-पीछे शराब के शौकीनों की भीड़ देखी जा सकती है।
आंखें बंद रखने का आखिर क्या फायदा
नियमानुसार दुकानें खोलने व बंद करने का समय निर्धारित है। इसके बावजूद यदि बेसमय खुली रहने वाली दुकानों पर कार्रवाई नहीं हो रही है तो इसे क्या कहा जाएगा। मान सकते है कि जिम्मेदारों की सरपरस्ती के बगैर ऐसा नहीं हो सकता। विभागीय अधिकारियों ने इस ओर से आंखें बंद कर रखी है तो आखिर उनका क्या फायदा है यह सोच सकते हैं।
सरपरस्ती के बगैर नहीं हो सकता
गुजरात बॉर्डर से सटे इलाकों में जहां रात-रातभर तक शराब मिल रही है, वहीं अन्य इलाकों में भी कमोबेश ऐसा ही मामला है। जिले के लगभग हर गांव व शहर में देर रात तक आसानी से शराब मिल रही है। कोई शटर ऊंचा कर शराब दे रहा है तो कोई खिड़की के रास्ते। वैसे यह भी तय है कि जिम्मेदारों को इसकी भनक न हो ऐसा हो नहीं सकता। यदि जानकारी नहीं है तो इनकी मॉनिटरिंग पर ही सवाल उठ रहे हैं। कुल जमा यही कि आबकारी महकमे की सरपरस्ती के बगैर न तो अवैध रूप से शराब बिक नहीं सकती है और न ही कायदों की धज्जियां उड़ सकती है।#sirohi. Liquor being sold all the time under the patronage of the responsible