
- टूटी-फूटी टंकियां और ढक्कन भी गायब तो बजट कहां गया
- जिला अस्पताल में छह माह पहले खर्च हुई है लाखों की राशि
सिरोही . राजकीय मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध जिला अस्पताल में पानी की सुदृढ़ व्यवस्था के लिए साढ़े नौ लाख रुपए खर्च किए गए है। यह राशि टंकियों की साफ-सफाई, नए ढक्कन लगाने एवं नई टंकियां लगाए जाने में खर्च करना बताया है, लेकिन लाखों रुपए की यह राशि कहां खर्च हुई यह कहीं नजर नहीं आ रहा। चौंकना लाजिमी पर हकीकत यही है। अस्पताल की छत पर रखी टंकियां इस कदर बदहाल है कि इनको एक नजर कोई देख ले तो पानी पीना गवारा नहीं करेगा। यह राशि जून माह से पहले प्रस्तावित भी कर चुके हैं। इसके बावजूद टंकियां की स्थिति और सफाई के प्रबंध आज भी जस के तस ही है। लिहाजा लाखों रुपए का यह बजट कहां खप गया यह जांच का विषय है।
जून माह में बता चुके कार्य पूर्ण हो गया
राजस्थान मेडिकेयर रिलीफ सोसायटी (आरएमआरएस) की गत 19 जून को हुई बैठक में बिंदू प्रस्तुत किए गए थे, जो पिछली बैठक के अनुमोदित कार्यों का विवरण था। इसमें नल-बिजली रिपेयरिंग के लिए सामान खरीदने, टंकियों की सफाई, ढक्कन लगाने, नई टंकियां लगाने आदि कार्यों के लिए अलग-अलग दोनों में प्रत्येक के लिए साढ़े नौ लाख रुपए से टेंडर कर कार्य करना बताया गया है। इसमें ये कार्य पूर्ण हो जाना भी बताया जा चुका है, लेकिन धरातल पर स्थिति देखी जा सकती है।
स्थिति ये है तो बजट कहां गया

- टंकियों के ढक्कन लगे ही नहीं, छत पर टंकियां क्षतिग्रस्त पड़ी है
- छत पर रखी टंकियों की साफ-सफाई पर किसी का ध्यान नहीं
- कई टंकियों पर ढक्कन ही नहीं है, इनमें गंदगी व कचरा भरा पड़ा है
- कई टंकियों में मकड़ी के जाले आ गए हैं, मच्छर पनप रहे हैं
- समय-समय पर सफाई करना बता रहे पर स्थिति एकदम उलट ही है
सरकार के ध्यान में लाएंगे…
मुझे हाल ही में सदस्य मनोनीत किया है। सरकार की ओर से संचालित योजनाओं से लोगों को लाभान्वित करने एवं चिकित्सा व्यवस्था चाक-चौबंद मिले इसके पूरे प्रयास कर रहे हैं। जून माह में यदि बजट पारित किया है तो पता किया जाएगा तथा सरकार के ध्यान में भी लाएंगे।
- लोकेश खंडेलवाल, सदस्य, आरएमआरएस, जिला अस्पताल
नियमित कार्य चल रहा है…
अस्पताल की छत पर लगी टंकियों की ठेकेदार के जरिए नियमित सफाई करवाते हैं और समय-समय पर प्लम्बर से खुलवाकर टंकियों की पूरी धुलाई करवाते हैं। टूटी-फूटी टंकियां बदलने व ढक्कन लगाने का कार्य भी नियमित रूप से किया जा रहा है।
- डॉ.वीरेंद्र महात्मा, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, सिरोही अस्पताल



