- घर पहुंचने के लिए बहती नदी को पार कर रहे आदिवासी
- एक पुलिया बन जाए तो कम हो सकती है मुश्किल
सिरोही. लम्बी दूरी और वाहनों का किराया बचाने के लिए आदिवासी लोग अपना जीवन दांव पर लगा रहे हैं। आबूरोड शहर के समीप क्यारिया गांव पहुंचने के लिए लोगों को बहती नदी पार करनी पड़ रही है। यह समस्या कई वर्षों से हैं, लेकिन किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। बारिश के दिनों में हर साल यही स्थिति सामने आती है।
ग्रामीण बताते हैं कि दूसरे रास्ते से आवाजाही करना भारी पड़ता है। किराया भी लगता है और दूरी भी ज्यादा तय करनी पड़ती है। इस एक नदी को पार करते ही वे गांव तक पहुंच जाते हैं। नदी में पानी बहते समय जान मुश्किल में पड़ जाती है। बताया जा रहा है कि सातपुर व क्यारिया को जोडऩे वाली बनास नदी की क्षतिग्रस्त रपट पूरी तरह पानी में डूब चुकी है। अब क्यारिया के लिए आवाजाही करने वाले लोग जान जोखिम में डालकर इसे पार कर रहे हैं।
… तो सुगम हो सकती है आवाजाही
मानपुर होकर क्यारिया जाना वाला मार्ग लंबा है, जिससे किराया ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इस रपट से होते हुए कुछ ही समय में वे गांव पहुंच जाते हैं। इसलिए धीरे-धीरे नदी पार करते हुए आवाजाही कर रहे हैं। सातपुर व क्यारिया के बीच बनास नदी में पुलिया बन जाए तो पानी बहाव के दौरान भी आवाजाही सुगम हो सकती है।
फिर हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं
प्रशासनिक स्तर पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोग बेझिझक नदी की रपट पर उतर रहे हैं। बहाव के दौरान लोगों को सावचेत करने या इनकी आवाजाही को लेकर कोई प्रबंध किया जाए तो जोखिम कम हो सकता है, लेकिन जानकारी के अभाव में ये लोग इसी रपट के जरिए नदी पार करने को मजबूर हैं। ऐसे में कभी बड़ा हादसा हो गया तो हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।