- पार्लियामेंट्री डिफेंस स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य बने सांसद लुम्बाराम चौधरी
सिरोही. केंद्र सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के लिए 24 डिपार्टमेंट पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटीज का गठन किया है। इसमें जालोर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सदस्य लुम्बाराम चौधरी को भी अहम कमेटी में शामिल किया गया। जालोर सांसद चौधरी को पार्लियामेंट्री डिफेंस स्टैंडिंग कमेटी का सदस्य बनाया गया है। जालोर-सिरोही से दिल्ली के सियासी गलियारों तक पहुंचे सरल व सेवाभावी किसान नेता को इस तरह की अहम जिम्मेदारी मिलना क्षेत्र के लिए गर्व और सम्मान की बात मानी जा रही है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी सदस्य के तौर पर इसी कमेटी का हिस्सा है। कमेटी अध्यक्ष राधामोहन सिंह है। सिरोही निवासी जालोर सांसद को रक्षा सम्बंधी स्थायी समिति में सदस्य बनाए जाने से क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर है।
इन दलों को मिली कुल 24 समितियों की अध्यक्षता
समितियों में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को शामिल किया गया है। इन्हीं में से समिति अध्यक्ष के तौर पर भी दायित्व दिया गया है। भाजपा को 11 कमेटियों की अध्यक्षता दी गई है। वहीं, कांग्रेस को चार, टीएमसी और डीएमके दो-दो, जेडीयू, टीडीपी, एसपी, शिवसेना (एकनाथ), एनसीपी (अजित) को एक-एक समिति की अध्यक्षता करने का मौका दिया गया है।
रक्षा सम्बंधी समिति के ये हैं प्रमुख कार्य
समय-समय पर रक्षा मंत्रालय और उससे जुड़े विभाग की मांगों पर विचार करना, उसकी रिपोर्ट तैयार करना और संसद में पेश करना, रक्षा मंत्रालय से जुड़े विधेयक की जांच और अध्ययन करना, रक्षा मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट पर विचार करना और उस पर अपने विचार रखना, नेशनल पॉलिसी के दस्तावेजों को विचार करने के लिए सदन में पेश करना। साथ ही सभापति कमेटी को कोई मामला भेजते हैं तो कमेटी उस पर रिपोर्ट तैयार करती है। सदन में बजट पर सामान्य चर्चा खत्म होने के बाद लोकसभा को एक निश्चित अवधि के लिए स्थगित कर दिया जाता है। इसके बाद यह कमेटी रक्षा मंत्रालय की मांगों पर रिपोर्ट तैयार करती है। सदन में मंत्रालय की सिफारिशों को हरी झंडी देने के लिए कमेटी की रिपोर्ट पर ध्यान दिया जाता है।
समितियों की रिपोर्ट के आधार पर काम करती है सरकार
कुल 24 पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी में से 16 लोकसभा और 8 कमेटी राज्यसभा के लिए रहती है। हर कमेटी में 31 सदस्य रहते हैं। इनमें से 21 लोकसभा से तथा दस राज्यसभा से होते हैं। कमेटी का कार्यकाल एक साल से ज्यादा नहीं होता। इनका काम सम्बंधित मंत्रालयों और विभागों से जुड़े विधेयकों की समीक्षा करना है। मंत्रालयों की सिफारिशों को समझना एवं एनालिसिस करना मुख्य कार्य है। इनकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार काम करती है।
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